Fake Marksheet Indore: मणिपुर-मेघालय और ओडिशा से पहुंचीं डीएवीवी की फर्जी अंकसूचियां

Fake Marksheet Indore: चार वर्षों में बीएड की 23 अंकसूचियां पकड़ीं, संस्थान करवा रहे सत्यापन।

Fake Marksheet Indore: कपिल नीले, इंदौर। फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गिरोह के सदस्य पकड़े जाने के बाद देवी अहिल्या विश्वविद्यालय भी चौकन्ना हो चुका है, क्योंकि चार वर्षों में कुछ ऐसी अंकसूचियां विश्वविद्यालय के पास पहुंची हैं, जो यहां से कभी जारी नहीं की गईं। यह गड़बड़ी सत्यापन के दौरान अधिकारियों ने पकड़ी है। जांच में 23 फर्जी अंकसूची होना पाया गया है। ये सारी बीएड पाठ्यक्रम की अंकसूचियां हैं, जो मणिपुर, मेघालय और ओडिशा सहित उत्तर-पूर्वी राज्यों से कंपनियों ने सत्यापन के उद्देश्य से भेजी थीं। अधिकारियों के मुताबिक इनके बारे में पुलिस में भी शिकायत की गई। साथ ही कंपनियों में पत्र भेजकर अंकसूची फर्जी होने की जानकारी दी है।
मल्टी नेशनल कंपनियों (एमएनसी) में काम करने वाले युवाओं की शैक्षणिक योग्यता को गोपनीय तरीकों से जांच करवाई जाती है। कंपनियां 10वीं-12वीं और स्नातक-स्नातकोत्तर की अंकसूचियों को संबंधित एजेंसियों के पास भेजती हैं। कुछ सालों से अंकसूची के सत्यापन करवाने की प्रक्रिया में तेजी से वृद्धि हुई है। 2020 से पहले हर महीने विश्वविद्यालय में 100-125 अंकसूचियां पहुंचती थीं, लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ गई है। विश्वविद्यालय का गोपनीय विभाग इस काम में जुटा है।
रोज 25-27 अंकसूचियां सत्यापन के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से आती हैं। अधिकारियों के मुताबिक 2019 से 2023 के बीच बीएड की सैकड़ों अंकसूचियां विश्वविद्यालय में सत्यापन के लिए आईं, जिसमें उत्तर-पूर्वी राज्यों के युवाओं की अंकसूचियां शामिल हैं। अधिकांश ओडिशा के विभिन्न शहरों की संस्थानों द्वारा भेजी जाती हैं, 90 फीसद अंकसूचियों की जानकारी विश्वविद्यालय में उपलब्ध नहीं थी। बाद में इन्हें फर्जी होना पाया गया। संस्थानों को विश्वविद्यालय से अंकसूची जारी नहीं करने के बारे में बताया है। फिर संस्थान की फर्जी अंकसूची की शिकायत अपने-अपने नजदीकी पुलिस थानों में करवाई हैं।
कंपनी को भेजते हैं ट्रांसक्रिप्ट
दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु के अलावा विदेश से भी संस्थान अंकसूची का सत्यापन करवाते हैं, जिसमें बीकाम, बीएससी, एमएससी, एमबीए की अंकसूची शामिल हैं। यही वजह है कि विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों की ट्रांसक्रिप्ट सीधे विदेशी कंपनी व शैक्षणिक संस्थानों को भेजता है। आवेदन के दौरान ही विद्यार्थियों से संबंधित कंपनी व संस्थान का पता लिखवाया जाता है।
ये है सत्यापन की प्रक्रिया
अंकसूची-डिग्री का सत्यापन करवाने के लिए संस्थान को आवेदन करना होता है। बदले में विश्वविद्यालय 500 रुपये का शुल्क जमा करवाता है। उसके बाद गोपनीय विभाग से अंकसूची और डिग्री को सत्यापन करवाया जाता है। पूरी प्रक्रिया में दस से पंद्रह दिनों का समय लगता है।
सत्यापन में कई पाठ्यक्रम की फर्जी अंकसूचियां मिलती हैं, जिनमें ओडिशा से आने वाली बीएड की सबसे ज्यादा रहती है। हकीकत यह है कि परिस्थितियां बिलकुल विपरीत हैं। विश्वविद्यालय से संबंद्धता प्राप्त कालेजों में उत्तर-पूर्वी राज्यों से बीएड करने वाले विद्यार्थी की संख्या बहुत कम हैं। वैसे रोज 25-27 अंकसूचियां जांच रहे हैं। इनकी सत्यापन रिपोर्ट भी संस्थानों को भेज रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button