1300 साल पुराना है छत्‍तीसगढ़ का यह शिव मंदिर, जानिए किले के बूढ़ेश्वर महादेव का इतिहास

रायपुर: सावन में शिव भक्ति को श्रेष्‍ठ माना गया है। भक्‍त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्‍न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्‍त करने के लिए भक्‍त पूजा-पाठ के साथ उपवास रख रहे हैं। इसके अलावा भक्‍त भोलेनाथ के दर्शन के लिए मंदिरों में भी जा रहे हैं। अगर आप भी मंदिर जाने का विचार कर रहे हैं तो छत्‍तीसगढ़ के इस मंदिर जरूर जाएं।

छत्‍तीसगढ़ के धमतरी शहर के इतवारी बाजार के पास बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर सदियों से भक्तों की आस्था का केंद्र है। भोलेनाथ के इस मंदिर में हर पर्व, त्योहार उत्साह से मनाया जाता है।

मंदिर की विशेष

धमतरी जिले के अति प्राचीन मंदिरों में से एक किले का बूढ़ेश्वर महादेव का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। लगभग 13 सौ साल पुराना बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर सदियों से लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है। सावन माहभर यहां प्रतिदिन शिवमहापुराण कथा का आयोजन होता है। कुछ वर्षों पूर्व गठित न्यास द्वारा इस मंदिर का प्रबंधन एवं रखरखाव किया जा रहा है।

मंदिर का इतिहास

प्रचलित किवंदतियों के अनुसार यह मंदिर रतनपुर के महामाया मंदिर के समकक्ष प्राचीन है। कुछ जानकारों के अनुसार यह मंदिर 1100 वर्ष पुराना है। सैकड़ों वर्ष पूर्व कांकेर के राजा के राजघराने में यह मंदिर था। वर्तमान में जिस स्थान पर यह मंदिर स्थित है, वहां पूर्व में महल था। इसलिए इसे किले का बूढ़ेश्वर मंदिर कहा जाता है। वर्तमान तहसील कार्यालय के चारों ओर गहरी खाई तथा बीच में किला स्थित था। किले के भीतर यह मंदिर स्थित था।

पुजारी मोतीलाल त्रिपाठी का कहना है, प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर जलाभिषेक और हवन किया जा रहा है। सावन महीने में भजन-कीर्तन व शिव महापुराण की कथा होती है। यहां लगभग दो करोड़ की लागत से मंदिर को भव्य रूप देने का कार्य जारी है।

श्रद्धालु लक्ष्मण साहू ने कहा, यह मंदिर धार्मिक आस्था का केंद्र है। सावन माह में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। बीते 10 सालों से यहां बोलबम कांवरिया संघ द्वारा महानदी से जल लाकर शिवलिंग का जलाभिषेक कार्यक्रम वृहद रूप से किया जा रहा है।

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