भोलेनाथ के दर्शन के लिए 27 दिनों तक चलाई साइकिल और रायपुर से पहुंच गया केदारनाथ

रायपुर: कहते है भक्ति में अथाह शक्ति होती है। भक्ति से मुश्किल काम भी सहज हो जाते हैं। छत्‍तीसगढ़ के गनन सागर ने भी शिवभक्ति का ऐसा ही उदारण प्रस्तुत किया है। गरियाबंद जिले के छोटे से गांव सिहारलटी के युवक गगन सागर ने लगातार 27 दिनों तक लगभग 2000 हजार किलोमीटर साइकिल से सफर कर केदारनाथ (Kedarnath) पहुंचे।

आखिरी दिन हरिद्वार से केदारनाथ लगभग 150 किमी किया सफर

गगन ने बताया कि वे पिछले तीन-चार वर्षों से केदारनाथ दर्शन करने जाना चाह रहे थे, लेकिन किसी कारणवश नहीं जा पा रहे थे। गगन सागर घर में बगैर बताए बस से रायपुर पहुंचा और यहीं से एक साइकिल खरीदकर पांच जून से केदारनाथ की सफर पर निकल पड़े। लगातार 27 दिनों तक साइकिल चलाकर दो जुलाई को आखिरकार वे अपनी मंजिल केदारनाथ धाम पहुंचे। गगन ने बताया कि वे रायपुर से बेमेतरा होते हुए मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा के बाद फिर उत्तरप्रदेश पहुंचा जो कि आगरा होते हुए उत्तराखंड, हरिद्वार से होकर केदारनाथ पहुंचा।

आखिरी दिन में 150 का सफर

गगन ने बताया कि मैं सुबह 7 से साइकिलिंग करता था। दोपहर में खाना और थोड़ा आराम करने के बाद फिर निकल पड़ता था। शाम सात बजे तक रात गुजारने के लिए ठिकाना ढुढ लेता था। सफर के लिए मैंने मैप की मदद ली। मैंने अपने साथ ज्यादा सामान भी नहीं रखा, ताकि मुझे सफर में आसानी हो। जरूरी सामान में मैंने केवल टेंट, कैंप गैस, पंचर किट, पंप के साथ डेली नीड्स का सामान रखा। रात में ठहरने के लिए मैंने पेट्रोल पंप और ढ़ाबे का सहारा लिया, क्योंकि यही जगह सुरक्षित होता है। उन्होंने बताया कि जब मैं हरिद्वार में पहंचे तो वहां से केदारनाथ की दूरी लगभग 150 किमी थी। तो मेरा धैर्य खो गया। महादेव के दर्शन की लालसा में मैंने 150 किमी की दूरी एक दिन में तय की।

पत्‍नी को नहीं थी जानकारी

गगन ने बताया कि मेरे परिवार में किसी को जानकारी नहीं थी कि मैं केदारनाथ जा रहा हूं। सिर्फ मेरी पत्नी को पता था कि मैं ट्रेन से केदारनाथ जा रहा हूं। जब मैं निकल गया था तो दोस्तों के माध्यम से घरवालों तक जानकारी पहुंची। सभी काफी नाराज थे। हालांकि सफर के दौरान प्रतिदिन घरवालों से मोबाइल से बातचीत होती थी। 28 वर्ष के गगन सागर के दो बच्चे है। वे सरकारी बैंक में बैक मित्र का काम करते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button