IPO की लिस्टिंग के नियम बदलेंगे, जानें किसे होगा फायदा
शेयर बाजार नियामक सेबी ने आईपीओ (IPO)की लिस्टिंग का समय घटाने का प्रस्ताव रखा है। नए प्रस्तावित नियमों (New Rules) में छह दिन की जगह अब तीन दिन में आईपीओ की लिस्टिंग की बात कहीं गई है। सेबी (SEBI) का कहना है कि ऐसा करने से निवेशक और कंपनी के प्रवर्तकों दोनों को फायदा होगा। नए नियमों में लिस्टिंग के लिए मियाद टी+6 से घटाकर टी+3 दिन किए जाने का प्रस्ताव रखा है। बीते कई सालों से सेबी आईपीओ प्रक्रिया को आसान बनाने की कोशिश कर रहा है। उसका सबसे ज्यादा ध्यान छोटे निवेशकों पर रहता है। इसी को ध्यान में रखते हुए सेबी ने आईपीओ के खुलने, आईपीओ के बंद होने और शेयरों की लिस्टिंग के समय को कम करने का प्रस्ताव किया है। आम लोग तीन जून तक सेबी के इस प्रस्ताव पर अपने सुझाव दे सकते हैं।
2018 में पेश किया था टी+6 नियम
शेयर बाजार में निवेश आसान बनाने के लिए सेबी ने साल 2018 में यूपीआई से पेमेंट करने की अनुमति दी थी। इसके बाद से शेयर मार्केट में छोटे निवेशकों का निवेश बढ़ा है। खुदरा निवेशकों को ध्यान में रखकर ही सेबी ने जब यूपीआई से पेमेंट करने की अनुमति दी थी तभी उसने शेयर लिस्टिंग छह दिन के अंदर करने सीमा तय की थी ताकि छोटे निवेशकों को जल्द से जल्द पैसा वापस मिल सके।
क्या होता है आईपीओ
इससे कंपनियों को आईपीओ के माध्यम से बाजार से पैसे जुटाने में आसानी होगी। निवेशकों को आईपीओ की अर्जी के बाद जल्दी पैसा या आवंटित शेयर मिल जाएंगे। इस कदम से आईपीओ लाने वाली कंपनी को जुटाई गई रकम का इस्तेमाल जल्दी करने की सुविधा मिलेगी। इससे कारोबार में आसानी होगी। वहीं इसका फायदा निवेशकों को भी होगा। जल्दी शेयर सूचीबद्ध होने की वजह से उन्हें शेयर आवंटन जल्दी होगा।
इससे ऐसे निवेशक जो आईपीओ में सफल नहीं होंगे, उन्हें अपने निवेश का जल्दी रिफंड मिल जाएगा। वहीं दूसरी ओर मार्केट में शेयर के जल्दी आने से वह अपने शेयर की खरीद-बिक्री भी जल्दी शुरू पाएंगे। इसका फायदा उन शेयर इंवेस्टर्स को भी होगा जो लंबी अवधि की बजाय ट्रेडिंग के लिए निवेश करते हैं। सिर्फ तीन दिन में शेयर सूचीबद्ध होने पर अगर किसी कंपनी के शेयरों में मुनाफावसूली होती है तो वह जल्द ही अपना निवेश मुनाफे के साथ बाहर निकालकर दूसरी जगह निवेश करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
क्या होता है आईपीओ
आईपीओ के जरिये कंपनी पहली बार शेयरों के जरिये रकम जुटाती है। इसमें खुदरा (छोटे यानी आम निवेशक जो छोटी रकम शेयर बाजार में लगाते हैं), संस्थागत (एलआईसी जैसे बड़े संस्थान) और कॉर्पोरेट्स निवेश करते हैं। आईपीओ के लिए डीमैट और बैंक खाता होना ज़रूरी है। IPO में शेयरों की न्यूनतम संख्या ख़रीदनी ही होती है, जिसे लॉट कहते हैं। मसलन, आईपीओ में मौजूदा समय में 14 हजार रुपये तक के कम से कम शेयरों की बोली लगानी होती है।