इस बार बंपर जीएसटी कलेक्शन की उम्मीद, मार्च में रिकॉर्ड 9.09 करोड़ ई-वे बिल जारी
जीएसटीएन के आंकड़ों के अनुसार मार्च महीने में 9.09 करोड़ ई-वे बिल बने है। इससे अप्रैल महीने में जीएसटी कलेक्शन का नया रिकॉर्ड बनने के आसार बन गए हैं। वित्तवर्ष 2023-24 के पहले महीने के जीएसटी कलेक्शन के आंकड़े 1 मई को जारी किए जाएंगे। आंकड़ों के अनुसार, मार्च महीने में 1.6 लाख करोड़ रुपये का अब तक का दूसरा सबसे बड़ा जीएसटी कलेक्शन हुआ था। तब फरवरी में 8.18 करोड़ ई-वे बिल बने थे। इससे पहले पिछले साल अप्रैल में रिकॉर्ड 1.67 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्शन हुआ था। उस दौरान मार्च महीने में करीब 7.81 करोड़ ई-वे बिल जारी किए गए थे। दिसंबर 2022 में आंकड़ा 8.41 करोड़ ई-वे बिल का था।
ई-वे बिल में 11 फीसद का इजाफा
जीएसटीएन के आंकड़ों के मुताबिक राज्यों के भीतर सामान भेजने के लिए मार्च में 5.78 करोड़ ई-वे बिल और दूसरे राज्यों में माल भेजने के लिए 3.3 करोड़ परमिट बनाए गए। इस तरह मार्च महीने में बने कुल ई-वे बिलों की संख्या 9.09 करोड़ पहुंच गई है। यह संख्या फरवरी में बने कुल ई-वे बिलों से 11 फीसदी अधिक है। यह संख्या एक रिकॉर्ड है, जो वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने में मजबूत आर्थिक गतिविधियों का संकेत देती है।
सरकार ने उठाए कदम
मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक सरकार ने न केवल जीएसटी वसूली को तकनीक के जरिए ज्यादा प्रभावी बनाया है, बल्कि कारोबारी खुद भी आसान व्यवस्था होने की वजह से कर देना पसंद कर रहे हैं। ऐसे में इस महीने बड़े पैमाने पर जीएसटी कलेक्शन होने की उम्मीद जताई जा रही है।
ये रही बढ़ोतरी की प्रमुख वजह
मार्च वित्तवर्ष का आखिरी कारोबारी महीना होता है। ऐसे में कारोबारी गतिविधियों में तेज रही हैं। जानकारों की राय में आखिरी महीना होने की वजह से तमाम कारोबारियों पर साल का बिक्री का लक्ष्य हासिल करने का दबाव रहता है। ऐसे में उत्पादन भी तेज रहता है। यही वजह है कि पिछले साल के बाद इस साल भी जीएसटी कलेक्शन नया रिकॉर्ड बना सकता है।
क्या होता है ई-वे बिल
वस्तुओं की आवाजाही के लिए कंप्यूटर आधारित चालान को ई-वे बिल कहते हैं। एक शहर से दूसरे शहर या राज्य में 50 हजार रुपये से अधिक की वस्तुओं की आवाजाही के लिए ई-वे बिल अनिवार्य है। इसको किसी भी समय कहीं से बैठे ट्रैक किया जा सकता है कि संबंधित वाहन कहां है। इससे कर चोरी पर अंकुश लगने के साथ-साथ परिवहन कंपनियों की लागत भी घटती है।