क्या यूनिवर्सिटी में चल रहा डिग्री का गोरखधन्धा ? निरन्तर लग रहे आरोप… तमाम फर्जीवाड़े पर हो SIT गठित
CBI जाँच की खुलकर वकालत करता हैं सीजी लाइव
* पूर्व में भी हो चूका हैं मामला दर्ज
* विश्वविद्यालय ! या फ़र्जी डिग्री की फैक्ट्री ?
- सजीव विस्वास
संपादक - 7869454949
जांजगीर/चांपा । बिलासपुर के सीवी रमन यूनिवर्सिटी में विचित्र मामला सामने आया है जहां से पढ़े हुए एक विद्यार्थी खुशाल केशरवानी की जब डिग्री सत्यापन के लिए विश्वविद्यालय को भेजी गई तब तो पहले विश्वविद्यालय ने डिग्री को फर्जी बताया फिर जब मामला तूल पकड़ने लगा और छात्र ने इस संबंध में विश्वविद्यालय को सूचित कराया और कार्रवाई की बात कहीं तब दोबारा विश्वविद्यालय ने लिपिकीय त्रुटि का हवाला देते हुए डिग्री को सही सत्यापित किया।
हालांकि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने मामला अभी सम्भाल लिया लेकिन विश्वविद्यालय की यह कारस्तानी “विश्वविद्यालय के फ़र्जी डिग्री के फैक्ट्री” कहे जाने वाली बात को चरितार्थ करता दिखाई देता हैं। क्योंकि सूत्र बताते हैं कि, यह पहली दफा नहीं हैं जब विश्वविद्यालय से ऐसा मामला सुनने में आया हैं बल्कि समय समय पर ऐसी ख़बरें आती रहीं हैं।
पहले भी लगते रहे हैं आरोप
यह पहली बार नहीं है जब विश्वविद्यालय पर इस तरह के आरोप लगे हैं। गौरतलब है कि, लगभग एक वर्ष पहले गलत तरीके से डिग्री बांटने के आरोप में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी। जिसमें विश्वविद्यालय पर उचित कार्रवाई करने और सीबीआई से जाँच की मांग की गई थी।
पूर्व में पुलिस ने इस निजी यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति संतोष चौबे, रजिस्ट्रार गौरव शुक्ला और उपरजिस्ट्रार नीरज कश्यप के अलावा पूर्व रजिस्ट्रार वर्तमान विधायक बिलासपुर शैलेश पांडे के खिलाफ स्थानीय कोटा थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था.
उन पर क्राइम नंबर 247/18 में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 13 (1) , (डी), 13 (2) के तहत भी अपराध पंजीबद्ध किया गया है. इससे पहले यूनिवर्सिटी ने राज्य में कई शाखाओं की ढेरों संकायों की फर्जी डिग्रियां मोटी रकम लेकर बांटी थी, जब छात्रों ने नौकरी के लिए आवेदन किया तो संस्थानों ने उन्हें अयोग्य करार दे दिया. सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के कई राज्यों में यहां से पास आउट छात्रों ने नौकरी के लिए आवेदन जमा किया गया था ।
पर ध्यान देने वाली बात यह है कि, इस तरह से युवाओं के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ के बावजूद यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन भी इस मामले से बेखबर हैं। वहीं छत्तीसगढ़ राज्य उच्च शिक्षा विभाग भी इस पर उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। क्योंकि अगर संस्थान के इस मनमाने तरीके से डिग्री देने के रवैये पर जल्द रोक नहीं लगी तो ऐसे ही युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ होता रहेगा।
क्या है मामला
अति गंभीर और संवेदनशील हैं मामला
पूरा मामला सक्ती जिला के बाराद्वार का है। बाराद्वार निवासी खुशाल चंद्र केशरवानी पिता विश्वनाथ केशरवानी ने वर्ष 2012-13 में सीवी रमन विश्वविद्यालय करगी रोड कोटा बिलासपुर से मुक्त एवम दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से एमबीए एचआर,
मार्केटिंग की पढ़ाई पूरी की।
खुशाल चंद्र ने 1 अगस्त को इंडसइंड बैंक में असिस्टेंट मैनेजर की नौकरी प्रारंभ की। इंडसइंड बैंक में नौकरी करते हुए समस्त कर्मचारी की ही भांति उसकी एमबीए की अंकसूची और डिग्री के सत्यापन का कार्य तीसरी कंपनी मैट्रिक्स बिजनेस सर्विस प्रालि. के माध्यम से कराई। खुशाल चंद्र केशरवानी के मामले में जब कंपनी मैट्रिक्स बिजनेस सर्विस प्रालि ने सीवी रमन विश्वविद्यालय को पत्र लिखा तो जवाब में विश्वविद्यालय ने 7 नवंबर 2022 को खुशाल चंद्र केशरवानी की अंकसूची एवं डिग्री को फर्जी बता दिया। इसका पत्र भी बकायदा प्रेषित किया गया। सीवी रमन विश्वविद्यालय बिलासपुर का अंकसूची फर्जी संबंधित पत्र देखकर खुशाल चन्द्र केशरवानी हैरान हो गया। उसने सीवी रमन विश्वविद्यालय बिलासपुर में 14
फरवरी 2023 मैट्रिक्स बिजनेस सर्विस प्रालि के कर्मचारियों के साथ सत्यापन कराने पर सीवी रमन विश्वविद्यालय बिलासपुर ने एक पत्र जारी कर अंकसूची को लिपकीय त्रुटि करार देते हुए उसे रफा दफा करने की कोशिश की।
खुशाल चन्द्र केशरवानी का कहना है कि, सीवी रमन विश्वविद्यालय की इस हरकत के कारण उनकी नौकरी जाते जाते बची और उसे ई मेल के माध्यम से फर्जी अंक सूची इंडसइंड बैंक को देने का कारण बताकर इंडसइंड बैंक ने उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने की भी चेतावनी दी थी। खुशाल चन्द्र केशरवानी इस घटना से बहुत दुःखी है। उसका कहना है कि, अगर उसके साथ ऐसा किया जा रहा है, तो गरीब विद्यार्थियों के साथ कैसा होता होगा? उसने सीवी रमन विश्वविद्यालय को चेतावनी देते हुए कहा कि इस घटना की पुनरावृत्ति न हो, अन्यथा सीवी रमन विश्वद्यालय के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
छात्रहित में कौन सा कदम उठाया जा सकता हैं ….
छत्तीसगढ़ी छात्रों की अस्मिता के साथ खिलवाड़
इस पुरे मामले की जाँच हेतु SIT गठित कर विश्वविद्यालय से जारी अंकसूचियों की जाँच कराई जानी चाहिए जिससे “दूध का दूध और पानी का पानी“ हो जायेगा .
क्योंकि विश्वविद्यालय पर पहले भी ऐसी ही आरोप समय – समय पर लगते रहे हैं , तो यह तो निश्चित हैं कि आरोप निराधार नहीं हों सकते . इस संबंध में यूजीसी को सक्रीयता दिखाते हुए मामले को संज्ञान में लेकर जाँच के बाद आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए . अगर अब तक यूजीसी इस मामले से अनभिज्ञ थी तो छात्रहित में इस खबर के माध्यम से कोई कदम निश्चित ही उठाएगी . क्योंकि विश्वविद्यालय की स्थापना तिथि से लेकर आज तक फर्जी डिग्री बाटने की कई ख़बरें आती रहती हैं .
छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बंद करने को सीजी लाइव छात्रहित में मामले की सीबीआई जाँच की मांग करता हैं , और माननीय उच्च न्यायलय से यह अपील भी करता हैं कि, मामले को स्वतः संज्ञान में लेकर मामले की जाँच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएँ और दोषी पाए जाने पर विश्वविद्यालय की मान्यता रद्द हों . और छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा विभाग का भी इस ओर ध्यान देना चाहिए. क्योंकि यह छत्तीसगढ़ की अस्मिता का भी सवाल हैं ? ताकि भविष्य में छत्तीसगढ़ के युवाओं के भविष्य के साथ हो रहा यह खिलवाड़ बंद हों . और तथाकथित फर्जी डिग्री की फैक्ट्री कही जाने वाली यूनिवर्सिटी पर तालाबंदी हों . और इस गोरखधंधे पर अंकुश लगे . क्योंकि सूत्र यह भी बताते हैं कि, विश्वविद्यालय में लोगों को घर बैठे डिग्री देने का कार्य भी किया जाता हैं. जबकि यूजीसी के नियमों के अनुसार इस हेतु 75 प्रतिशत उपस्थिति का होना अनिवार्य हैं .
डॉ. सी. वी. रामन् विश्वविद्यालय
करगीरोड कोटा, बिलासपुर (छ.ग.)
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