डायबिटिज रोगियों के लिए सुरक्षित है ये मीठा फल ‘मोंक फ्रूट’, हजार रुपये प्रति किलो बिकने वाले इस फल की ये है ख
मधुमेह रोगियों के लिए मीठा जान का दुश्मन होता है। डॉक्टर उन्हें मीठी चीजों से परहेज करने की सलाह देते हैं। लेकिन, अब ऐसे रोगियों के लिए मोंक फ्रूट मीठे का बढ़िया विकल्प बन रहा है। देश में इसकी खेती भी शुरू हो गई है।
मोंक फ्रूट चीनी से 300 गुना मीठा है, लेकिन न यह रक्त में शर्करा बढ़ाता है और न ही मधुमेह रोगियों के लिए नुकसानदायक पाया गया है। बड़ी बात यह है कि इसमें कैलोरी नहीं होती है। फिलहाल देश में करीब नौ करोड़ मधुमेह रोगी हैं।
हिमाचल प्रदेश में शुरू हुई खेती मोंक फ्रूट की खेती अब तक भारत में नहीं होती थी, लेकिन विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी मंत्रालय की पालमपुर स्थित प्रयोगशाला सीएसआईआर इंस्टीट्ययूट आफ हिमालयन बायोरिसोर्स एंड टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी) ने हिमाचल के पालमपुर, चंबा और कुल्लू में मोंक फ्रूट की खेती शुरू करा दी है।
सात स्थानों पर शुरुआत हाल में सेवानिवृत्त हुए संस्थान के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि मोंक फ्रूट के पौधों को एक समझौते के तहत चीन से मंगाया गया था। इसके बाद प्रयोगशाला में इसके तीन साल तक फील्ड ट्रायल किए गए। यह पूरी तरह से सफल रहे हैं। पहले चरण में पालमपुर के साथ-साथ कुल्लू और चंबा के गांवों में सात स्थानों पर किसानों से इसकी खेती कराई जा रही है।
डॉ. संजय कुमार के अनुसार, मोंक फ्रूट में मोग्रोसाइड्स नामक यौगिक होता है, जो तीव्र मिठास के लिए जिम्मेदार होता है। अब तक जितने भी अध्ययन हुए हैं, उसमें इसे मधुमेह रोगियों के लिए सुरक्षित पाया गया है। अमेरिकी दवा प्रशासन ने इसे सेवन के लिए सुरक्षित बताया है।
पौधा छह महीने में फल देना शुरू करता है-
मोंक फ्रूट का पौधा छह महीने में फल देना शुरू करता है तथा इसका पेड़ पांच साल तक फल देता है। छिलके को हटाकर इसका रस निकाला जाता है। बाद में पाउडर बनाकर प्राकृतिक मिठास के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इससे किसान प्रति हेक्टेयर प्रति फसल 3-4 लाख रुपये कमा सकेंगे। बता दें, मोंक फ्रूट पाउडर 30 हजार रुपये प्रति किलो बिकता है।