काशी के पंचांग के अनुसार 6 मार्च को होलिका दहन मान्य, जानें ज्योतिषविद् का तर्क

देशभर में होली 8 मार्च और काशी के पंचांगों में 7 मार्च घोषित किए जाने से लोगों में दुविधा है। काशी से प्रकाशित सभी पंचांग 6 मार्च को होलिका दहन और 7 को धुरड्डी मनाने का तर्क दे रहे हैं। ऐसी स्थिति भद्रा के कारण उत्पन्न हुई है।

काशी के पंचांगों के अनुसार 6 मार्च को दिन में 0350 बजे पूर्णिमा व भद्रा साथ आरंभ हो रहे हैं। काफी लोगों का मानना है कि भद्रा में होलिका दहन नहीं होता लेकिन काशी के पंचांगों का दावा है कि पुच्छभद्रा में यह संभव है। भृगु संहिता विशेषज्ञ पं. वेदमूर्ति शास्त्रत्ती बताते हैं कि पूर्णिमा 6 मार्च दिन में 418 बजे लगेगी। विश्व पंचांग में पूर्णिमा व और भद्रा आरंभ का समय दिन में 0350 बजे है। अन्य पंचांगों में भी कुछ मिनटों के हेरफेर पर पूर्णिमा का आरंभ दर्शाया गया है। 7 मार्च को पूर्णिमा का समापन शाम 0550 से 0611 बजे के मध्य बताया गया है।

उन्होंने बताया कि पूर्व के वर्षों में पुच्छभद्रा काल में होलिका दहन किया गया है। होलिका दहन के लिए रात में पूर्णिमा होना जरूरी माना गया है। रात में पूर्णिमा व भद्रा साथ हो तो पुच्छभद्रा काल के विकल्प का अनुपालन करने की बात निर्णय सिंधु और धर्म सिंधु जैसे ग्रंथों में कही गई है। इस दृष्टि से 6 मार्च को भद्रा पुच्छ में रात 1218 बजे से 0130 बजे तक होलिका दहन होना चाहिए। कुछ पंचांगों में यह देर रात 1253 से 0205 बजे तक बताया गया है। ज्योतिषाचार्य विमल जैन बताते हैं कि काशी में प्रकाशित महावीर, ऋषिकेश, श्रीगणेश आपा, विश्व पंचांग, ज्ञानमंडल सौर पंचांग व चिंताहरण पंचांग 6 मार्च को होलिका दहन व 7 को होली बता रहे हैं। वहीं अन्यत्र स्थानों से प्रकाशित पं. बंशीधर ज्योतिष पंचांग, श्रीमार्तण्ड पंचांग, कैलाश पंचांग, पंचांग दिवाकर, पं श्रीवल्लभ मनिराम पंचांग, कालनिर्णय पंचांग में भी 6 मार्च ही होलिकादहन और 7 को होली दर्शायी गई है।

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष एवं ज्योतिषविद् प्रो. नागेंद्र पांडेय ने बताया कि काशीवासियों के लिए होली 7 मार्च को मनाना तर्कसंगत होगा। परंपरा के अनुसार काशी में एक दिन पहले और पूरे देश में एक दिन बाद होली मनाई जाती है। इस दृष्टि से काशी में भी होलिका दहन 6 मार्च को और होलिकोत्सव 7 मार्च को मनाना चाहिए। काशी में सभी पर्व-त्योहार विश्वनाथ मंदिर के हिसाब से ही मनाए जाते हैं।

होलिका दहन और रंगोत्सव की तिथि पर दुविधा को लेकर श्रीकाशी विद्वत परिषद तीन मार्च को विद्वानों से विमर्श करेगा। परिषद के अध्यक्ष पद्मभूषण पं. वशिष्ठ त्रिपाठी ने कहा कि इस विषय पर विचार विमर्श के बाद ही परिषद की ओर से कोई निर्णय सार्वजनिक किया जाएगा।

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