सुखी जीवन की है चाह तो इन 6 आदतों का तुरंत कर दें त्याग

आचार्य चाणक्य की तरह ही विदुर की नीतियां भी आज के समय में काफी प्रचलित है। जीवन के कई पहलुओं में इनकी नीतियां सहायक सिद्ध होती हैं। विदुर जी महाराज धृतराष्ट्र के भाई और महामंत्री थे। इनकी नीतियों में लाइफ मैनेजमेंट से संबंधित कई सूत्र बताए गए हैं। जानिए विदुर नीति में ऐसी कौन सी 6 आदतें बताई हैं जिन्हें त्यागने से व्यक्ति को सुखी जीवन की प्राप्ति हो सकती है।

श्लोक-
अतिमानोअतिवादश्च तथात्यागो नराधिप।
क्रोधश्चात्मविधित्सा च मित्रद्रोहश्च तानि षट्।।
एत एवासयस्तीक्ष्णा: कृन्तन्यायूंषि देहिनाम्।
एतानि मानवान् घ्नन्ति न मृत्युर्भद्रमस्तु ते।।-विदुर नीति कहती है कि इंसान को कभी भी अपने पर अधिक अभिमान नहीं होना चाहिए। जो व्यक्ति हर समय अपनी प्रशंसा करता रहता है और खुद को दूसरों से बेहतर समझता है वो अभिमानी होता है। अति अभिमानी व्यक्ति से सभी दूर होने लगते हैं। व्यक्ति की ये आदत उसकी उम्र करती है।

-व्यक्ति को उतना ही बोलना चाहिए जितना बोलने की जरूर हो। अधिक और व्यर्थ में बोलने वाला व्यक्ति अक्सर परेशान रहता है। अधिक बोलने के चक्कर में व्यक्ति कई बार ऐसी बातें बोल देता है जिससे उसका नुकसान होने के आसार रहते हैं।

-अधिक गुस्सा करने की आदत व्यक्ति का नाश कर सकती है। जो व्यक्ति बात-बात पर गुस्सा हो जाता है वो अपना नुकसान खुद ही कर लेता है। अधिक गुस्सा सेहत के लिए भी ठीक नहीं है। सुखी जीवन जीना चाहते हैं तो अपनी इस आदत का तुरंत ही त्याग कर दें।

-जिस व्यक्ति के अंदर त्याग और समर्पण की भावना नहीं होती है वो हमेशा दुखी रहता है। क्योंकि ऐसा व्यक्ति सिर्फ अपने बारे में ही सोचता रहता है। ऐसे व्यक्ति का जरूरत पड़ने पर कोई साथ नहीं देता।

-जो व्यक्ति दूसरों को धोखा देता है वो कभी न कभी मुसीबतों में फंस जाता है। ऐसे व्यक्ति पर कोई भरोसा नहीं करता और उससे सभी दूर होने लगते हैं।

-लालची व्यक्ति कभी सुखी नहीं रह सकता। क्योंकि लालच का कभी कोई अंत नहीं होता। जिसके दिल और दिमाग में लालच छा जाता है वो हमेशा परेशान रहता है। उसे किसी चीज से खुशी नहीं मिलती। इसलिए इस आदत का त्याग करने में ही भलाई है।

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