न प्रियंका गांधी लौटीं न अध्यक्ष मिला, UP में ‘सबसे बुरी’ हार के बाद कहां गई कांग्रेस?
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ जैसे अभियानों की शुरुआत और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सक्रिय रहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा सियासी तस्वीर से गायब हैं। प्रचार के दौरान पीड़ितों से मुलाकात, सियासी कार्यक्रमों में मौजूदगी देने वाली प्रियंका ने विधानसभा चुनाव के नतीजे जारी होने के बाद से राज्य का दौरा नहीं किया है। इतना ही नहीं अजय कुमार लल्लू के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद प्रदेश कांग्रेस अपने नए प्रमुख की भी बाट जोह रही है।
सोशल मीडिया पर भी प्रियंका की सक्रियता कम ही है। पूरे जोश के साथ प्रचार के बाद कांग्रेस ने राज्य की 403 सीटों पर लड़ने का फैसला किया था, लेकिन कुल 2 ही सीट हासिल कर सकी। कहा जा रहा है कि राज्य में यह कांग्रेस का सबसे बुरा चुनावी प्रदर्शन था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी के अंदरूनी लोगों का कहना है कि वे बेहतर नतीजों की उम्मीद कर रहे थे और ऐसी हार का अनुमान नहीं लगाया था, जो 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर असर डाल सकती है।
जब प्रियंका चर्चा में रहीं
बीते साल अक्टूबर में लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के बाद उन्हें सीतापुर गेस्टहाउस में पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। हालांकि, बाद में राज्य सरकार ने उन्हें पीड़ित परिवारों से मिलने की अनुमति दे दी थी। कांग्रेस महासचिव ने 40 फीसदी टिकट महिला उम्मीदवारों को देने की घोषणा के साथ भी काफी सुर्खियां बटोरी थी।
शांत हुई यूपी कांग्रेस!
प्रियंका की गैर मौजूदगी का असर राज्य में कांग्रेस पर नजर आ रहा है। कुशीनगर जिले की तमकु राज से बुरी तरह हारने वाले लल्लू भी पद छोड़ने चुके हैं। हालांकि, कांग्रेस का एक वर्ग इस उम्मीद में है कि राज्य में पार्टी फिर खड़ी हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘आने वाले कुछ दिनों में यूपी कांग्रेस का नया अध्यक्ष भी नियुक्त किया जाएगा। साथ ही दीदी (प्रियंका) भी संभावित तौर पर 1-2 जून को कॉन्क्लेव के लिए लखनऊ आ रही हैं, जहां राज्य के नेतृत्व को पार्टी के उदयपुर चिंतन शिविर की जानकारी दी जाएगी।’
मुसलमानों से उम्मीद
रिपोर्ट के मुताबिक, एक नेता ने कहा कि पार्टी मुसलमान समुदाय तक पहुंचने की उम्मीद कर रही है। उन्होंने कहा, ‘समाजवादी पार्टी ने उन्हें (मुसलमानों) को नजरअंदाज कर दिया है। हम समुदाय के लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं और हम 2024 के लिए काम करेंगे।’ एक ओर जहां प्रियंका गांधी राज्य से नदारद हैं, तो सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव खासे सक्रिय नजर आ रहे हैं।