RBI की मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज से शुरू, गवर्नर शशिकांत दास करेंगे ब्याज दरों पर फैसला

अधिकांश विश्लेषकों का अनुमान है कि आरबीआई की दर-निर्धारण समिति मुख्य रेपो दर को स्थिर रखेगी। यानी उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। आरबीआई गवर्नर की चुनौती मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना और विकास के लिए तरलता को बढ़ावा देना है।

HIGHLIGHTS

  1. इंडस्ट्री के जानकारों को रेपो रेट में बदलाव होने की उम्मीद कम है।
  2. रेपो रेट बढ़ने पर ब्याद दर बढ़ेगी और महंगा हो जाएगा होम लोन।
  3. ऐसा होने पर रियल एस्टेट सेक्टर पर सीधा असर देखने को मिलेगा।

नईदिल्ली, एजेंसी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तीन दिनों तक चलने वाली द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति की बैठक बुधवार को शुरू हो गई है। इस बैठक में ब्याज दरों पर फैसला लिया जाएग। यह बैठक शुक्रवार को यानी 6 नवंबर को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा सुबह 10 बजे एमपीसी के फैसले की घोषणा के साथ खत्म होगी।

हालांकि, ज्यादातर विश्लेषकों का अनुमान है कि आरबीआई की दर-निर्धारण समिति मुख्य रेपो दर को स्थिर रखेगी। आरबीआई गवर्नर की चुनौती मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना और विकास के लिए तरलता को न्यूनतम बढ़ावा देना है।

अगर रेपो रेट बढ़ाया जाता है, तो बैंक से मिलने वाला कर्ज भी महंगा हो जाएगा। लिहाजा, जहां नया होम लोन महंगा हो जाएगा। वहीं, पुराने चल रहे होम लोन की ईएमआई भी पहले की तलुना में बढ़ जाएगी। इसका सीधा असर आम लोगों और रियल इस्टेट सेक्टर पर पड़ेगा।

रेपो रेट में नहीं होना चाहिए बदलाव

बेसिक होम लोन के सीईओ अतुल मोंगा को उम्मीद है कि आरबीआई मौजूदा वैश्विक आर्थिक स्थिति को देखते हुए आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिए रेपो दर में बदलाव नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि आरबीआई मुद्रास्फीति को संतुलित करने और आर्थिक विकास का समर्थन करने के लिए रेपो दर को 6.5% पर ही पहले जैसा रखेगा।

अतुल मोंगा ने आगे कहा कि वैश्विक आर्थिक स्थितियां, विशेष रूप से चुनावों के बाद अमेरिका में नई व्यवस्था और यूरोजोन की स्थिति, आरबीआई के फैसले को काफी हद तक प्रभावित करने की उम्मीद है। अगर अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में केंद्रीय बैंक सख्त मौद्रिक नीतियां अपनाते हैं, तो आरबीआई भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं को एक प्रमुख कारक बताते हुए ‘तटस्थ’ रुख अपना सकता है।

उन्होंने उम्मीद जताई है कि रेपो दर में बदलाव नहीं होने से घरों की मांग स्थिर रहेगी। खासकर मिड-रेंज और लक्जरी सेगमेंट में लोगों के घर खरीदने की क्षमता बनी रहेगी, जिसे स्थिर ब्याज दर से समर्थन मिलेगा। डेवलपर्स और घर खरीदार, दोनों उधार लागत में पूर्वानुमान से लाभ उठा सकते हैं।

रियल स्टेट सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा

गौड़ ग्रुप के सीएमडी और क्रेडाई एनसीआर के अध्यक्ष मनोज गौड़ ने भी रेपो दर पर यथास्थिति बनाए रखने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि आरबीआई रेपो दर पर यथास्थिति बनाए रखता है, तो यह रियल एस्टेट सेक्टर के लिए उत्साहजनक होगा।

यह बाजार में स्थिरता का संकेत देगा और खरीदारों और डेवलपर्स दोनों के बीच विश्वास बढ़ाएगा। आरबीआई भविष्य में संभावित दरों में कटौती का संकेत दे रहा है, जिससे घर खरीदारों को राहत मिल सकती है। हालांकि, किफायती आवास खंड एक चिंता का विषय बना हुआ है। मनोज गौड़ ने कहा कि हम आशा करते हैं कि आरबीआई इस क्षेत्र पर अधिक ध्यान देगा।

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