जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र में गलती है तो… हाथोंहाथ करें आवेदन, देरी पड़ सकती है भारी
HIGHLIGHTS
- प्रमाण पत्र की सभी जानकारियों की तुरंत जांच करें।
- जन्म या मृत्यु उसी स्थान से प्रमाण पत्र प्राप्त होगा।
- अस्पताल से सीधे जानकारी निगम को भेजी जाती है।
इंदौर। अगर आप जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने जा रहे हैं, तो इसके बनने के बाद सबसे पहले संबंधित का नाम, तारीख सहित अन्य चीजें ध्यान से देख लें। अगर आपने इसमें कोताही बरती तो बाद में गलती को सुधरवाने के लिए परेशान होना पड़ सकता है। जन्म या मृत्यु जिस शहर में हुई है वहीं से इसका प्रमाण पत्र मिलेगा।
अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु दिल्ली में हुई है, तो भले ही उसका अंतिम संस्कार इंदौर में हुआ हो, लेकिन उसका मृत्यु प्रमाण पत्र दिल्ली से ही बनेगा। इसी तरह जहां जन्म हुआ है वहीं से जन्म प्रमाण पत्र बनेगा। कुछ बड़े शासकीय अस्पतालों में जन्म प्रमाण पत्र अस्पताल से ही बनाए जाने की व्यवस्था रहती है। जिन शासकीय और निजी अस्पतालों में यह सुविधा नहीं है वहां से ऑनलाइन रिकॉर्ड नगर निगम को भेजा जाता है।
रिकॉर्ड की एक हार्ड कापी भी निगम को भेजनी होती है। दस्तावेजों के सत्यापन के बाद संबंधित निगम जन्म प्रमाण पत्र जारी करता है। सामान्यत: इस प्रक्रिया में दो सप्ताह लगते हैं। जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करते वक्त ही इस बात की जांच कर लेनी चाहिए कि इसमें किसी तरह की कोई गलती तो नहीं है। जन्म प्रमाण पत्र में बच्चे का, माता-पिता का नाम इत्यादि जांच जरूर कर लें।
अगर, किसी तरह की गलती हो तो हाथोंहाथ सुधार के लिए आवेदन कर दें। अगर आप गलती सुधरवाने में देरी करते हैं तो आपको भविष्य में इसके लिए परेशान होना पड़ सकता है। जितनी जल्दी गलती सुधरवा लेंगे, वह उतनी ही आसानी से सुधर जाएगी। पति के मृत्यु प्रमाण पत्र में पत्नी का नाम जरूर जांच लेना चाहिए। किसी भी तरह का अंतर होने पर पत्नी को क्लेम आदि प्राप्त करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
भारी पड़ सकती है अनदेखी
कई बार यह भी देखने में आता है कि प्रमाण पत्र में गलती होने पर व्यक्ति उसकी अनदेखी करता है और वर्षों बाद सुधरवाने के लिए आवेदन करता है। यह गलती आपको मुश्किल में डाल सकती है। जिन बच्चों का जन्म अस्पताल में हुआ है उनके जन्म से जुड़ी जानकारी अस्पताल से सीधे निगम भेजी जाती है और इस जानकारी के आधार पर ही जन्म प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। जन्म के समय बच्चे का कोई नाम नहीं होता है। अगर आप बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र में उसका नाम जुड़वाना चाहते हैं, तो आपको इसके लिए आवेदन करना होगा। अगर आप बच्चे के नाम में बदलाव चाहते हैं तो भी आपको संबंधित निगम में आवेदन करना होगा। यह बात ध्यान रखें कि जन्म प्रमाण पत्र में जन्म तारीख बदलने का कोई प्रविधान नहीं है।
यह भी जान लें
ऑनलाइन भी जन्म प्रमाण पत्र बनवाए जा सकते हैं। इसके लिए आधिकारिक वेबसाइट www.mpenagar palika.gov.in के होमपेज पर जाकर जन्म पंजीकरण विकल्प पर क्लिक करें। जनरल पब्लिक साइनअप के बटन पर क्लिक करें। जरूरी जानकारी भरें। जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अस्पताल से जन्म स्थान के बारे में सबूत, माता-पिता का पहचान प्रमाण. माता-पिता का वैवाहिक प्रमाण पत्र (वैकल्पिक) चाहिए होते हैं।
यह रखें ध्यान
अगर बच्चे का जन्म घर पर हुआ है तो ऐसी स्थिति में एक माह के भीतर नगर निगम को इसकी सूचना देकर प्रमाण पत्र बनवा लें। एक माह बाद प्रमाण पत्र बनवाने पर आपको अतिरिक्त शुल्क देना होगा।
मुक्तिधाम पर मृतक का नाम, पता, पिता का नाम, पत्नी का नाम इत्यादि लिखवाते वक्त अतिरिक्त सतर्कता बरतें। वो ही नाम लिखवाएं जो आधार कार्ड में हैं। विवाहित पुरुष की मृत्यु होने पर उसका मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाते वक्त उसकी पत्नी का नाम लिखवाते समय अतिरिक्त सतर्कता बरतें। मृतक की पत्नी का आधार कार्ड भी साथ लेकर जाएं।
अगर आप बच्चे का नाम बदलवाना चाहते हैं तो बच्चे के स्कूल में प्रवेश से पहले करवा लें। बाद में आपको शपथ पत्र, माता-पिता के लिंक दस्तावेज इत्यादि प्रस्तुत करना पड़ेंगे। दस्तावेजों से संतुष्ट होने पर ही निगम नए नाम से जन्म प्रमाण पत्र जारी कर सकता है।