रातापानी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने की अड़चनें दूर, एक माह में जारी होगी अधिसूचना
मप्र शासन के मुख्य सचिव अनुराग जैन ने निर्देश दिए हैं कि सभी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है तो एक माह के अंदर रातापानी टाइगर रिजर्व की अधिसूचना जारी की जाए। रातापानी में तीन हजार 123 वन्यप्राणी हैं। इनमें 56 बाघ, 70 तेंदुए, आठ भेडिया, 321 चिंकारा, 1433 नीलगाय, 568 सांभर और 667 चीतल हैं।
HighLights
- 16 साल से लंबित है टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव।
- केंद्रीय वन मंत्री भी मप्र सरकार से कर चुके हैं आग्रह।
- मुख्यमंत्री की ओर से भी मिल चुकी है प्रस्ताव को मंजूरी।
भोपाल। राजधानी भोपाल से सटे रातापानी और सिंघौरी अभयारण्य को मिलाकर मध्य प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व बनाने में आ रही तमाम अड़चनें दूर कर ली गई हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश के बाद बुधवार को मुख्य सचिव अनुराग जैन ने वन विभाग सहित अन्य विभाग प्रमुखों के साथ बैठक कर रातापानी अभयारण्य के संबंध में समीक्षा की।
मुख्य सचिव ने इस बात पर नाराजगी भी जताई कि जब केंद्र सरकार से अनुमति मिल चुकी है तो फिर राज्य सरकार के स्तर कहां और क्यों लेट लतीफी हो रही है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि सभी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है तो एक माह के अंदर रातापानी टाइगर रिजर्व की अधिसूचना जारी की जाए।
बैठक में राजस्व, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, नगरीय प्रशासन, खनिज, जल संसाधन, उद्योग सहित इससे संबंधित विभाग प्रमुख बैठक में उपस्थित थे।
बता दें कि टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव वर्ष 2008 से लंबित है। केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव भी रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार से आग्रह कर चुके हैं। रातापानी को टाइगर रिजर्व रूप में अधिसूचित करने एनटीसीए कह चुका है। मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव भी जून में हुई राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक में इसे मंजूरी दे चुके हैं।
इसलिए अटका है मामला
- हालांकि रातापानी अभयारण्य क्षेत्र में कई नेताओं एवं अधिकारियों की जमीनें, रिसोर्ट एवं क्रेशर हैं।
- इसके अलावा, इस अभयारण्य के वनमंडल ओबेदुल्लागंज के अंतर्गत 31 ग्राम एवं सीहोर वनमंडल के छह ग्रामों तथा भोपाल वनमंडल के एक ग्राम की सहमति अभी तक नहीं मिल पाई है।
- वन विभाग के अधिकारी एक माह में गांवों की सहमति लेकर रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेंगे। इसके बाद अधिसूचना की कार्रवाई की जाएगी।