दिन में उजाला बिखेर रात को अंधेरे में डूब रही है शहर की स्ट्रीट लाइट
नगर की गलियां के खंभे विद्युत विभाग की रहमो-करम पर टिमटिमा रहें हैं। त्योहारों का सीजन शुरू होने से पहले शहरवासियों के साथ नगर सरकार के जनप्रतिनिधियों को शहर की अंधेरे में डूबी गलियों और बदहाल स्ट्रीट लाइट की चिंता सताने लगी है। पार्षदों का कहना है कि स्ट्रीट लाइट को लेकर उन्हें शहरवासियों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है
HIGHLIGHTS
- नगर सरकार पर 1 करोड़ 97 लाख बिजली बिल बकाया ।
- त्योहार में शहरवासियों को सताने लगी रात के अंधेरे की चिंता।
- लापरवाही पालिका को आर्थिक रूप से भी भारी पड़ रही है।
जशपुरनगर। शहर की स्ट्रीट लाइट का मामला नगर पालिका और विद्युत मंडल के बीच में फंस कर रह गया है। दोनों विभागों में तालमेल ना होने के कारण कभी 24 घंटे स्ट्रीट लाइट जल रही है तो कभी रातें अंधेरे में डूबी रहती है। यह लापरवाही पालिका को आर्थिक रूप से भी भारी पड़ रही है। नगर सरकार पर बिजली बिल का 1 करोड़ 97 लाख रुपया बाकी है। इसे चुकाने के लिए पालिका के पास फिलहाल कोई आर्थिक संसाधन उपलब्ध नहीं है।
सीएमओ योगेश्वर उपाध्याय ने बताया कि स्ट्रीट लाइट को समय पर चालू करने की जिम्मेदारी विद्युत विभाग की है। यह निर्णय दोनों विभागों ने आपसी सहमति से लिया है ताकि आपूर्ति लाइन की मरम्मत करने के दौरान होने वाली दुर्घटना को टाला जा सके। इसलिए अगर शहर के किसी हिस्से में समय से स्ट्रीट लाइट चालू नहीं हो रहा है तो इसके लिए विद्युत विभाग जिम्मेदार है।
दिन समय स्ट्रीट लाइट के जलते रहने की समस्या
दिन समय स्ट्रीट लाइट के जलते रहने की समस्या के संबंध में पलिका के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि अक्सर ऐसा लाइन में आने वाली खराबी के कारण होता है। कभी-कभी लाइन के सेपरेटर (तारों के बीच लगने वाला डंडा) के टूट जाने से तार आपस में जुड़ जाते हैं। इससे लाइन को आफ करने के बाद भी स्ट्रीट लाइट आफ नहीं हो पातें है। लाइन में इस तरह की तकनीकी गड़बड़ियों को सुधारने की जिम्मेदारी भी विद्युत मंडल की होती है।
बल्ब की समस्या बनी जी का जंजाल
रात के समय शहर को दूधिया रोशनी से नहलाने के मामले में राज्य सरकार ने नगर सरकार के हाथ को बांध दिए हैं। सीएमओ उपाध्याय ने बताया कि स्ट्रीट लाइट के लिए बल्ब आपूर्ति के लिए प्रदेश स्तर पर सरकार ने एजेंसी तय कर रखा है। इस एजेंसी का काम खंभों के रख-रखाव करने की भी है। लेकिन बार-बार पत्र लिखने के बाद भी मांग के अनुरूप बल्ब की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। उन्होनें बताया कि नगर सरकार के पास पार्षद निधि उपलब्ध है। लेकिन सरकार के गाइड लाइन के अनुसार इससे भी बल्ब का क्रय नहीं किया जा सकता है। सीएमओ का कहना है कि दशहरा और दीपावली से पहले सीमित मात्रा में बल्ब की खरीदी कर व्यवस्था सुधारने का प्रयास किया जा रहा है।
दुधिया रोशनी से नहलाने की तैयारी
अंधेरे से जूझ रहे शहरवासियों को जल्द ही इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगी। नगर सरकार ने शहर की वर्षो पुराने स्ट्रीट लाइट सिस्टम को बदलने जा रही है। इसके पहले चरण में मिलन चौक से निक्की चौक तक के लिए 11.26 लाख, जैन मंदिर से सन्ना रोड तक के लिए 10.32 लाख, जनपद पंचायत कार्यालय से जल संसाधन कार्यालय तक 7.32 लाख और बालाजी मंदिर से घर-संसार से आगे स्थित नाला तक के लिए 11.56 लाख रुपये का बजट सरकार से मिल चुका है।
गौरव पथ में छाया अंधेरा
शहर को नई पहचान देने वाले गौरवपथ भी अब अंधेरे में डूबने लगा है। बीते दो दिनों से कलेक्टर कार्यालय से आगे का एक बड़े हिस्से की स्ट्रीट लाइट बंद है। इस सड़क में शहरवासियों को महानगरीय अहसास दिलाने के लिए पालिका ने सड़क के बीच में दोनों ओर लाइट स्थापित की थी। कांग्रेस सरकार के समय इन खंभों में रंग-बिरंगी लाइटें भी लगाई थी। जो अब बंद हो चुकी है।
इन मुहल्लो में है गंभीर समस्या
- रज्जू भैया चौक से राजा उपेन्द्र चौक तक
- राजा उपेन्द्र चौक से अटल आवास तक
- जूदेव चौक से उपेन्द्र चौक तक
- आरा मिल से बरटोली तक का पूरा क्षेत्र
यहां स्थापित होगी आक्टोगोनल स्ट्रीट लाईट
- मिलन चौक से निक्की चौक -71.26 लाख
- जैन मंदिर से सन्ना रोड – 10.32 लाख
- जनपद पंचायत कार्या से जल संसाधन कार्यालय 7.51 लाख
- बालाजी मंदिर से नाला तक – 11.56 लाख