Navratri Vastu Upay: नवरात्र में घट स्थापना से दूर होता है वास्तु दोष… जवारों से मिलता है भविष्य का संकेत
नवरात्र पर कलश स्थापना का विशेष महत्व है। इस दिन कलश स्थापित करके देवी मां का आह्वान करते हैं। इस बार नवरात्र कलश स्थापना के लिए दो शुभ समय हैं। ग्वालियर के ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा से जानिए शुभ मुहूर्त।
HIGHLIGHTS
- मां की आराधना और घट स्थापना का महत्व है
- जवारे अंकुरित होकर देते सुख-समृद्धि के संकेत
- यहां जानिए घट स्थापना का सही-सही तरीका
धर्म डेस्क, इंदौर (Navratri Ghat Sthapana 2024)। आदिशक्ति के आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र तीन अक्टूबर से शुरू हो रही हैं। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना करने व जवारे बोने का विशेष महत्व होता है। वास्तु के अनुसार, नवरात्र के पहले दिन सही दिशा में कलश स्थापित करने से लोगों के घरों से वास्तु दोष दूर हो जाते हैं। मंदिरों व घरों में घटस्थापना व जवारे बोने के साथ नवरात्र उत्सव शुरू हो जाएगा।
जवारे इस बात का भी संकेत देते हैं कि वर्ष कैसा बीतेगा। अगर जवारे हरे रहते हैं, ऐसा माना जाता है कि आदिशक्ति ने आराधना से प्रसन्न होकर वर्षभर सुख-समृद्धि का संकेत दिया है।
ग्वालियर के ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि नवरात्र में कलश स्थापना और मिट्टी के बर्तन में जौ (जवारे) बोने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
घट स्थापना कैसे करें, शुभ मुहूर्त
- 3 अक्टूबर को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह सवा छह बजे से लेकर सुबह सात बजकर दो मिनट तक है। दूसरा मुहूर्त दोपहर में 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर साढ़े 12 बजे तक है।
- कलश स्थापना का स्थान पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। कलश स्थापना के समय घड़े में चावल, गेहूं, जौ, मूंग, चना, सिक्के, कुछ पत्ते, गंगाजल, कुमकुम, रोली डालें और उसके ऊपर नारियल रखें।
- घड़े के मुंह पर मौली बांधें और कुमकुम से तिलक लगाएं और घड़े को एक चौकी पर स्थापित करें। कलश को रोली और चावल से अष्टदल कमल बनाकर सजाएं। देवी मां के मंत्रों का जाप करें।