Surya Grahan (Solar Eclipse 2024): 2 अक्टूबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, सर्व पितृ अमावस्या का योग भी, जानिए सूतक काल रहेगा या नहीं

सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) तब होता है, जब पृथ्वी और सूर्य के बीच से चंद्रमा आ जाता है। इस तरह चंद्रमा कुछ समय के लिए सूर्य को ढक लेता है। इस खगोलीय घटना पर खगोल शास्त्रियों की विशेष नजर रहती है। वहीं सनातन में सूर्य ग्रहण का धार्मिक महत्व भी है।

HIGHLIGHTS

  1. भारत में नजर नहीं आएगा सूर्य ग्रहण
  2. इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा
  3. सूर्य ग्रहण के बाद दान का महत्व है

धर्म डेस्क, इंदौर (Surya Grahan Pitru Amavasya): साल 2024 का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर, बुधवार को है। पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल 2024 को लगा था। खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या के दिन पड़ने वाला यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा।

यह सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में ही देखा जा सकेगा। भारत में यह नहीं दिखाई देगी। यही कारण है कि इसका सूतक काल भी नहीं रहेगा। साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण एक पूर्ण सूर्य ग्रहण था, लेकिन भारत में नहीं दिखा था।

क्यों खास है यह सूर्य ग्रहण
  • 2 अक्टूबर, बुधवार को लगने वाला यह सूर्य ग्रहण हस्त नक्षत्र और कन्या राशि में लगने जा रहा है।
  • इससे मिथुन राशि वालों को फायदा होगा। आर्थिक स्थिति सुधरेगी। करियर में सफलता मिलेगी।
  • कर्क राशि वालों का अच्छा समय शुरू होगा। हर काम में सफलता मिलेगी। परिवार का साथ रहेगा।

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सूर्य ग्रहण के बाद दान करें ये चीजें, चमक उठेगी किस्मत

सनातन धर्म में सूर्य ग्रहण का विशेष महत्व बताया गया है। यदि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देता, तो धार्मिक महत्व और बढ़ जाता।

सूर्य ग्रहण के बाद विभिन्न तरह की चीजें दान करने का महत्व है। मान्यता है कि इन चीजों को दान करने से अच्छा फल प्राप्त होता है।

सूर्य ग्रहण के बाद चना, गेहूं, गुड़ और दाल का दान करने से सभी कार्य बिना बाधा के पूरे होते हैं और ग्रहण का विपरीत असर नहीं होता है।

यदि किसी व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक दुख और परेशानी है तो वह सूर्य ग्रहण के बाद केले, बेसन के लड्डू और पेड़े का दान करे।

इसी तरह, नींबू, पके पपीते, लाल रंग के वस्त्र, दूध और चावल का भी दान कर सकते हैं। इससे पद तथा प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।

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घर की शुद्धि का महत्व

इस बार भी सूर्य ग्रहण नहीं दिखने से सूतक काल नहीं है, अन्यथा कई तरह के नियमों का पालन करना होता। सूरत काल में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है। खाना नहीं बनाया जाता है। भगवान को स्पर्श नहीं किया जाता है। सभी तरह की खाद्य वस्तुओं और पानी-दूध आदि में तुलसी के पत्ते रखे जाते हैं।

सूतक काल खत्म होने के बाद सबसे पहले स्नान किया जाता है। इसके बाद घर की सफाई होती है। फिर भगवान को भी स्नान करवाया जाता है।

सूर्य ग्रहण के कितने प्रकार होते हैं

  • पूर्ण सूर्य ग्रहण: चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है। धरती पर अंधेरा छा जाता है।
  • आंशिक सूर्य ग्रहण: चंद्रमा, सूर्य के कुछ हिस्से को ही ढक पाता है।
  • वलयाकार सूर्य ग्रहण: चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है और सूर्य को पूरी तरह नहीं ढक पाता है।
  • हाइब्रिड सूर्य ग्रहण: चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह ढंकता है, लेकिन कुछ हिस्सा खुला रहता है।

2026 तक कोई सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा

29 मार्च 2025: आंशिक सूर्य ग्रहण

21 सितंबर 2025: आंशिक सूर्य ग्रहण

17 फरवरी 2026: वलयाकार सूर्य ग्रहण

12 अगस्त 2026: पूर्ण सूर्य ग्रहण

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