Imarti Recipe: श्राद्ध पक्ष में उड़द और मूंग की दाल की इमरती का विशेष महत्व, यहां पढ़िए रेसिपी
मध्य प्रदेश के उत्तर भारत में जलेबी जितना ही महत्व इमरती का भी है। शुद्ध घी से बनी इमरती का स्वाद अलग ही होता है। जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है, गरमा-गरमा इमरती की डिमांड भी बढ़ती जाती है।
HighLights
- हर मौसम में खाई जाती है इमरती
- उड़द और मूंग के घोल से बनती है
- लच्छेदार इमरती की भी विशेष मांग
ग्वालियर। श्राद्ध पक्ष में उड़द व मूंग की दाल से बनी इमरती का विशेष महत्व होता है। इन दिनों शुद्ध देसी घी की इमरती की बहुत मांग है। सुबह से लेकर रात तक कारीगर चाशनी में सराबोर इमरती बना रहे हैं।
चाशनी में डुबकी लगाती इमरती देखकर खाने के लिए मन ललचाने लगता है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में श्रीराम मिष्ठान भंडार पर इमरती के लिए भीड़ लगी रहती है।
Imarti Recipe: ऐसे बन रही थी इमरती
- बारीक पिसी हुई उड़द व मूंग की दाल को बड़े से थाल में एक कारीगर पूरी ताकत से फेटकर कपड़े में भरकर दूसरे कारीगर को इमरती बनाने के लिए दे रहा था।
- कारीगर बड़ी तन्मयता से पहले गोल घेर, फिर उस पर डिजाइन बनाकर शुद्ध घी में तल रहा था। शुद्ध घी की महक हर गुजरने वाले का ध्यान आकर्षित कर रही थी।
- इमरती के लाल होने पर उसे चाशनी की कढ़ाई में डाल देता, ताकि वह चाशनी में सराबोर हो जाए। यहां दो शिफ्टों में तीन से चार कारीगर लगातार इमरती बनाते हैं।
- प्रतिष्ठान के चीफ जनरल मैनेजर एसके गौतम ने बताया कि श्राद्ध पक्ष में उड़द व मूंग की इमरती काफी मांग रहती है।
पाटनकर बाजार की इमरती ग्वालियर में प्रसिद्ध
पाटनकर बाजार स्थित छोटे लाल कचौड़ी की दुकान पर केवल इमरती बनाने वाले पप्पू इमरती वाले ने बताया कि श्राद्ध पक्ष में इमरती की काफी मांग होती है।
मांग पूरी करने के लिए दुकान के अलावा अन्य स्थान पर इमरती बनाने की व्यवस्था कर कारीगर लगाने पड़ते हैं। उनके यहां शुद्ध रूप से उड़द की दाल की इमरती का निर्माण शुद्धता के साथ किया जाता है।
नगर में अधिकांश हलवाइयों द्वारा लाल रंग की इमरती बनाई जाती है। उनकी इमरती में दाल में कोई रंग नहीं मिलाया जाता है। इसलिए उनका रंग भी प्राकृतिक होता है। इमरती बनाने की विधि जगजाहिर है, लेकिन उनकी इमरती में थोड़ा सा कुकर पन होने के कारण अधिक पसंद की जाती है।