Jagdalpur: 35 साल बाद नेतानार की बड़ीगुड़ी में हो रहा है मां दंतेश्वरी की बिटिया का बिहाव, 48 गांवों के देवता होंगे शामिल
हेमंत कश्यप, जगदलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। धुरवा समाज की पुरातन आदिम परंपरा के अनुरूप 35 साल बाद नेतानार में रविवार को देव बिहाव आयोजित किया गया है। बस्तर के क्रान्तिवीर शहीद गुंडाधुर की ग्रामदेवी नेतानारीन के सपूत मुन्नादेव का विवाह मावलीपदरकी मां दंतेश्वरी और भैरम बाबा की बिटिया मुन्नादई के साथ होने जा रहा है। जिसके साक्षी बनेंगे 48 गांवों के देवी-देवता और ग्रामीण।
विवाहोत्सव की तैयारी तीन हफ्ते से जारी है। शुक्रवार देर रात नेतानार के बाराती 22 किमी पैदल चलकर शनिवार सुबह दंतेसरी गुड़ी मावलीपदर पहुंचे। यहां मुन्नादई को मऊर सौंप जमकर हल्दी खेली गई। सभी रात भर सामूहिक नृत्य करेंगे और रविवार सुबह वधु के साथ टोपर सरहद पार कर किचकरास डोंगरी पहुंचेंगे। बताया गया पिछला देव बिहाव वर्ष 1988 में कराया गया था।
देव लोक परम्परा
देव बिहाव समिति के सदस्य लखनलाल नाग (बामनारास) बताते हैं कि बस्तरांचल में सामान्य मनुष्यों की तरह गांव की समृद्धि और खुशहाली के लिए देवी – देवताओं की संतानों का देव बिहाव कराने की पुरानी परम्परा है। इस क्रम में धुर्वा समाज अपनी आराध्या नेतानारिन के पुत्र मुन्नादेव का माहला (सगाई) एक साल पहले मावलीपदर की मां दंतेश्वरी और भैरम की सुपुत्री मुन्नादई के साथ कर चुके हैं। उस समय मुन्नादई को मुंदरी (अंगुठी) और एक बैल भेंट कर आए थे। इतना ही नहीं नेतानार और मावलीपदर के बीच रास्ते में जितने भी देवी – देवता और नदी नाला तथा पहाड़ मिले थे।
सभी को मुंदरी भेंट कर देव बिहाव में आमंत्रित कर दिया गया था। देव बिहाव नहीं हो पाने के कारण बीते एक साल में दोनों गांव के किसी भी युवक – युवती की शादी भी नहीं हो पाई है। देव बिहाव भरी बरसात में ही आयोजित किया जाता है। देव बिहाव में नृत्य करने तीन सौ से ज्यादा ग्रामीण मौजूद रहेंगे।
सहभागिता से बिहाव
पुनुराम नाग (रनधारीरास) बताते हैं कि देव बिहाव की तैयारी पिछले तीन सप्ताह से चल रही है। किचकरास डोंगरी की बड़े गुड़ी में यह विवाहोत्सव आयोजित है। नेतानार पंचायत अंर्तगत सात बस्तियों में 1100 परिवार निवासरत हैं। प्रत्येक घर से दो पायली चावल, पांच सौ रूपए, 50 नग दोना – पत्तल लिया गया है। देव बिहाव में सहभागिता चलते गुरूवार से मंगलवार तक सातों बस्तियों में खेती किसानी बंद है। जो नियम का उन्लघन करते हल चलाएगा उसे 1000 और ट्रेक्टर चलाया तो 3000 रूपये का अर्थदंड किया जाएगा। देव बिहाव में ढाई लाख रुपए खर्च का अनुमान है।
1988 में हुआ था देव बिहाव
गुजाराम नाग (रनधारीरास) ने बताया कि नेतानार की बड़े गुड़ी में वर्ष 1988 में देव बिहाव हुआ था। 35 साल बाद इस परंपरा को दोहराता जा रहा है। मुन्नादेव और मुन्नादई का बिहाव दंतेश्वरी आया, भयरम डोकरा, केराया ऊसी, चोऊतनारीन, जलनी बूंदी, धारनी डोकरी, बरवा डोकरी, मावली डोकरी, फंडरा राव, चितरा राव, करेया राव, चोका राव, बाहरा दावनी, ठान पाट और सात फदमनी कयना उपस्थित रहेंगी। नेतानार की आठ बस्तियों में निवासरत देव पुजारी चाकुराम, माता कारिया पुजारी सहादेव, मांझी, दुबेयधुर, फानेकधुर, बिजलीधुर परिवार और पुनू बोडका पुजारी देव बिहाव सम्पन्न कराएंगे ।
कहां है देव बिहाव
संभागीय मुख्यालय से 25 किमी दूर नेतानार गांव बस्तर के क्रान्तिवीर शहीद गुंडाधुर की जन्म स्थली है। इसके किचकरास पारा से लगी डोंगरी में सैकड़ों वर्ष पुरानी देव गुड़ियां हैं। बड़े गुड़ी को नेतानारिन, दंतेसरी भंडारगुड़ी कहा जाता है। इस वनाच्छिद डोंगरी में स्थानीय 21 देवी – देवताओं का वास है। यहीं पर लगभग 40 गांवों के आमंत्रित देवी देवताओं और ग्रामीणों की उपस्थिति में 35 साल बाद रविवार को देव बिहाव सम्पन्न होने जा रहा है।