Brahma Temple In Ujjain: उज्जैन में शिप्रा नदी के रामघाट पर ब्रह्माजी का मंदिर होने के मिले प्रमाण

Brahma Temple In Ujjain: ब्रह्मा का मुख चतुर्मुख माना जाता है और चारों मुख चार वेद के कारक बताए जाते हैं। ब्रह्मा के पास में ही अग्नि देवता का भी स्थान दिखाई देता है, यह इस बात का प्रतीक है। यजुर्वेद में ऐसा कहा गया है कि ब्राह्मण का मुख अग्निमुख है और ब्राह्मण ब्रह्मा का ही प्रतिनिधित्व करते हैं।

HIGHLIGHTS

  1. उज्जैन में अनादिकाल से मंदिरों की शृंखला रही है।
  2. यहां का मूर्ति शिल्प भी देश दुनिया में बेजोड़ रहा है।
  3. परमारकाल में राजाभोज ने अनेक मंदिर बनवाए थे।

उज्जैन(Brahma Temple in Ujjain)। राजस्थान के पुष्कर में ब्रह्माजी का मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि देश में ब्रह्माजी का यही एक मात्र मंदिर है। हालांकि उज्जैन में मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पर भी ब्रह्माजी का मंदिर होने के प्रमाण मिले हैं।

पुरातत्व के जानकारों का मानना है कि शिप्रा के तट पर ब्रह्माजी का विशाल मंदिर रहा होगा। आक्रांताओं ने आक्रमण कर मंदिर को क्षतिग्रस्त किया होगा। कालांतर में घाट के क्षेत्र के जीर्णोद्धार के समय मंदिर के भग्नावशेष तथा ब्रह्माजी की मूर्ति को यहां स्थापित किया गया होगा।

यहां का मूर्ति शिल्प बेजोड़ है

विक्रम विश्व विद्यालय के पुराविद डॉ. रमण सोलंकी ने बताया उज्जैन में अनादिकाल से मंदिरों की शृंखला रही है। यहां का मूर्ति शिल्प भी देश दुनिया में बेजोड़ रहा है। परमारकाल में भी राजाभोज ने अनेक मंदिर बनवाए तथा मूर्तियों का निर्माण कराया।

इसी समृद्ध शिल्प व मूर्ति कला के प्रमाण रामघाट स्थित सीढ़ियों पर भगवान ब्रह्मा तथा अग्निदेवता की मूर्तियों के रूप में मिलते हैं। यह दोनों मूर्तियां परमार काल की होकर एक हजार साल पुरानी है। चतुर्मुख ब्रह्मा की यह मूर्ति उच्चकोटी की है।

naidunia_image

इसमें तीन मुख सामने की ओर है, चौथा मुख दीवार में दबा हुआ है। ब्रह्माजी के हाथ में हवन में आहुति देने के लिए श्रुवा है। इस स्थान पर निश्चित ब्रह्माजी का भव्य मंदिर रहा होगा।

उत्कीर्ण शैली में स्थापित की ब्रह्माजी की मूर्ति

तीर्थपुरोहित ज्योतिर्विद पं.अमर डब्बावाला ने बताया रामघाट की सीढ़ी पर ब्रह्मा जी की मूर्ति उत्कीर्ण शैली की स्थापित की हुई है। परमार काल से जुड़े संस्कृति के नमूना इस मूर्ति में दिखाई देता है। यहां पर पूर्व में कोई मंदिर रहा था, जिसे तोड़ा गया बाद में हिन्दू शासकों ने इसे स्थापित किया फिर प्राकृतिक आपदा के कारण यह मूर्ति प्रभावित हुई। यहां वर्तमान में सीढ़ी बनाई गई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button