Share Market Investment: देशी निवेशकों पर टिका बाजार, क्रैश होने की आशंका नहीं

भारतीय शेयर बाजार अब पहले से बेहतर स्थिति में है। अब साल 2008 और साल 2012 की तरह बाजार के क्रैश होने की आशंका नहीं है। दरअसल, पहले विदेशी संस्थागत निवेशक बाजार में पैसा लगाते थे। मगर, अब घरेलू संस्थागत निवेशक म्यूच्युअल फंड, एसआईपी और शेयर बाजार पर पैसा लगा रहे हैं।

HIGHLIGHTS

  1. म्युचुअल फंड और सिप के जरिए भारतीय निवेशकों का योगदान बढ़ा।
  2. भारत की टोटल सिप बुक करीब 23,500 करोड़ प्रति माह तक पहुंची।
  3. म्युचुअल फंड हाउस भी लोगों के पैसों को शेयर बाजार में ही लगा रहे।

बिजनेस डेस्क। पिछले दिनों स्टाक मार्केट डाउन आया था और फिर ऊपर आकर नए शीर्ष पर पहुंचा। खराब ग्लोबल संकेतों से कई बार बाजार नीचे जाता हैै। ऐसे निचले स्तर पर बाजार में खरीदी बढ़ जाती है और फिर बाजार उछाल मारता है।

इसका एक बढ़ा कारण है कि पहले भारतीय बाजार की निर्भरता एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) पर ज्यादा थी। बीते कुछ वर्षों में डीआईआई (घरेलू संस्थागत निवेशक) की भागीदारी बाजार में बढ़ी है।

दरअसल, अब बाजार में म्युचुअल फंड और सिप के जरिए भारतीय निवेशकों का योगदान बीते वर्षों के मुकाबले काफी बढ़ गया है। भारत की टोटल सिप बुक करीब 23,500 करोड़ प्रति माह तक पहुंच गई है।

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धैर्य रखकर करते रहें निवेश

मार्केट में लगता है म्युचुअल फंड का भी पैसा

दरअसल, म्युचुअल फंड में अच्छे रिटर्न्स लोगों को इनकी ओर खींच रहे हैं। फंड हाउस भी लोगों से आने वाले निवेश को शेयर बाजार में ही निवेश करते हैं। ऐसे में आम लोगों का पैसा बाजार में आता है और बाजार का पूंजीकरण और मजबूती बढ़ रही है।

2008 की तरह मार्केट क्रैश होने की आशंका नहीं

आने वाले समय में प्राफिट बुकिंग होती रहेगी। मगर, ऐसी आशंका नहीं है कि वर्ष 2008 या 2012 की तरह बाजार क्रैश हो जाए। निवेशक दीर्ष अवधि के लिए खरीदी करें, तो बेहतर हैं। निवेश का पोर्टफोलियो हमेशा डायवर्सिफाइड रखे।

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