तो इसलिए मर रहे थे चीते… एशियाई शेरों के लिए तैयार किया गया था कूनो नेशनल पार्क, प्रबंधन योजना में चीतों का जिक्र ही नहीं
मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में प्रोजेक्ट चीता के प्रबंधन को लेकर महालेखाकार की रिपोर्ट में चिंता जताई गई है, जिसमें विभागीय समन्वय की कमी और योजना में चीतों का उल्लेख न होने की बात की गई है। रिपोर्ट में 44.14 करोड़ रुपये के व्यय को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं।
HIGHLIGHTS
- कूनो पार्क की योजना में चीतों का कोई उल्लेख नहीं
- एशियाई शेरों के के लिए तैयार किया गया था कूनो
- प्रोजेक्ट चीता पर खर्च किया गया 44.14 करोड़ रुपये
भोपाल : मध्य प्रदेश के महालेखाकार की एक रिपोर्ट में कूनो राष्ट्रीय उद्यान में प्रोजेक्ट चीता के प्रबंधन पर चिंता व्यक्त की गई है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के बीच समन्वय की कमी को उजागर किया गया है। अफ्रीका चीतों के आने के बावजूद वर्ष 2020-2030 के लिए पार्क की प्रबंधन योजना में चीता के प्रबंधन का कोई उल्लेख नहीं है।
इन चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर मुख्य वन संरक्षक और लायन प्रोजेक्ट के निदेशक उत्तम शर्मा ने कहा कि उन्होंने लेखा परीक्षकों को उनकी आपत्तियों और सवालों का जवाब दे दिया है लेकिन क्या? इस सवाल का जवाब देने से उन्होंने यह कहकर इन्कार कर दिया कि उन्हें सार्वजनिक करना उचित नहीं होगा।
एशियाई शेरों के लिए तैयार किया गया था कूनो
अगस्त 2019 से नवंबर 2023 के बीच की अवधि की ऑडिट रिपोर्ट और आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, कूनो राष्ट्रीय उद्यान को मूल रूप से एशियाई शेरों के दूसरे निवास स्थान के रूप में तैयार किया गया था हालांकि, नवंबर 2023 तक एशियाई शेरों को लाने के कोई प्रयास नहीं किए गए।
प्रबंधन योजना में चीतों का जिक्र नहीं
ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रबंधन योजना में चीतों का कोई जिक्र नहीं था, इसलिए वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2023-24 (जनवरी 2024 तक) प्रोजेक्ट चीता पर किया गया 44.14 करोड़ रुपये का व्यय इसके अनुरूप नहीं था। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, ऑडिटरों को यह स्पष्ट करने वाला कोई रिकॉर्ड नहीं मिला कि किसके निर्देश के तहत चीता प्रोजेक्ट का काम शुरू हुआ।
रिपोर्ट के अनुसार, जिन अधिकारियों को चीता प्रबंधन में प्रशिक्षण के लिए दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया भेजा गया था, वे भी कूनो में चीता प्रबंधन के लिए उपयोगी साबित नहीं हुए। वहीं, चीता प्रोजेक्ट के तहत दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और अन्य अफ्रीकी देशों से हर साल लगभग 12-14 चीतों को लाने की रूपरेखा है।
प्रोजेक्ट चीता: 17 सितंबर को पूरे हो रहे दो साल
मध्य प्रदेश में प्रोजेक्ट चीता को 17 सितंबर को दो साल पूरे हो रहे हैं। इस बीच कई उतार-चढ़ाव आए और इसके बावजूद पालपुर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 24 चीते उम्मीद की किरण जगाए हुए हैं। 12 चीता शावकों की चहलकदमी से कूनो गुलजार हो रहा है। चीतों को गांधी सागर अभयारण्य में भी बसाने की योजना है।
कूनों में 24 चीते
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से लाए गए आठ चीते मप्र के कूनो में छोड़े थे। फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते कूनो लाए गए। कुल 20 चीते में से आठ वयस्क चीते (तीन मादा और पांच नर) मर चुके हैं। भारत में 17 शावकों का जन्म हो चुका है, जिनमें से 12 जीवित हैं। इससे कूनो में शावकों सहित चीतों की कुल संख्या 24 हो गई है, यह सभी वर्तमान में बाड़ों में हैं।
इन दो वर्षों में निराशाजनक बात यह रही है कि चीतों को संभालने में कूनो प्रबंधन विफल रहा है, यही कारण है कि अब रिलायंस इंडस्ट्रीज के जामनगर स्थित ग्रींस जूलाजिकल रेस्क्यू एंड रिहेबिलिटेशन सेंटर (जीजेडआरआरसी) से भी समय-समय पर मदद ली जा रही है। यहां 71 चीतें लाए गए थे, वे सभी स्वस्थ हैं।
अब कूनों में ही चीतों का उपचार और सर्जरी
अब कूनो नेशनल पार्क में ही बनने वाले अस्पताल में चीतों का उपचार और सर्जरी हो सकेगी। मंगलवार को चीता प्रोजेक्ट के दो साल पूरे होने पर प्रदेश के वन मंत्री रामनिवास रावत वाइल्ड लाइफ हास्पिटल का उद्घाटन करेंगे। चीता प्रोजेक्ट की वार्षिक रिपोर्ट भी जारी करेंगे और चीता वेबसीरीज का ट्रेलर भी रिलीज करेंगे।
कूनो प्रबंधन ने बताया कि चीतों की देखरेख के लिए स्थानीय बेटरनरी डाक्टर हैं, लेकिन संसाधनों की कमी थी, इसलिए अब कूनो नेशनल पार्क में ही वाइल्ड लाइफ हास्पिटल बनकर तैयार हो गया है, जिसमें लैब, आपरेशन थियेटर की सुविधा रहेगी। तीन डाक्टर नियुक्त किए जाएंगे, जिसमें दो स्थानीय व एक भारत सरकार के डाक्टर रहेंगे। मंगलवार को कूनो में उत्सव मनाया जाएगा।