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मध्य प्रदेश में पहले चरण की 6 लोकसभा सीटों पर 91 प्रत्याशी मैदान में, जानिए हर सीट का हाल

HIGHLIGHTS

  1. विध्य-महाकोशल की सभी सीट पर प्रमुख रूप से भाजपा-कांग्रेस के बीच मुकाबला माना जा रहा है।
  2. प्रथम चरण की सभी 6 लोकसभा क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी ने सघन प्रचार- प्रसार किया।
  3. वहीं कांग्रेस ने भी इन सीटों को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी।

MP First Phase Lok Sabha Election: जबलपुर। मध्य प्रदेश की जबलपुर समेत मध्य प्रदेश की छह लोकसभा सीट पर पहले चरण का प्रचार बुधवार शाम थम गया। प्रथम चरण की सभी 6 लोकसभा क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी ने सघन प्रचार- प्रसार किया। इन क्षेत्रों में 40 से अधिक सभाएं, 30 से अधिक स्थानों पर रोड शो, 25 से अधिक स्थानों पर कार्यकर्ता सम्मेलन हुए।

वहीं कांग्रेस ने भी इन सीटों को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। कांग्रेस की तरफ से भी दर्जनों सभा, रैली निकाली गईं। छह सीट पर 91 उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत अजमा रहे हैं। पहले चरण में विध्य-महाकोशल की सभी सीट पर प्रमुख रूप से भाजपा-कांग्रेस के बीच मुकाबला माना जा रहा है।

जबलपुर- 19

सीधी- 17

शहडोल- 10

बालाघाट- 16

मंडला-14

छिंदवाड़ा- 15

1 – जबलपुर लोकसभा सीट

 

पंकज तिवारी, जबलपुर। जबलपुर संसदीय सीट पर भाजपा-कांग्रेस में प्रमुख मुकाबला है। दोनों ही दल ने नया चेहरा उतारा है। भाजपा ने पूर्व जिला ग्रामीण अध्यक्ष आशीष दुबे तो कांग्रेस ने भी पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश यादव को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है। जबलपुर लोकसभा सीट पर साल 1996 से बीजेपी का कब्जा है। यहां से चार बार के सांसद राकेश सिंह के विधानसभा चुनाव जीतकर मंत्री बनने के बाद बीजेपी के गढ़ को बचाने की जिम्मेदारी पार्टी ने आशीष दुबे को सौंपी है।

आशीष दुबे का मुकाबला कांग्रेस के दिनेश यादव से है, जिन्हें पार्टी ने ओबीसी कार्ड खेलते हुए मैदान में उतारा है। प्रचार के अंतिम दिन मुख्यमंत्री स्वयं मोहन यादव जबलपुर आए। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के साथ जबलपुर के विकास का दृष्टि पत्र जारी किया। यहां से कुल 19 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है।

कांग्रेस से पिछले दो चुनाव लड़ने वाले विवेक तन्खा ने वर्ष 2019 का चुनाव हारने के बाद घोषणा कर दी थी कि वह भविष्य में चुनाव नहीं लड़ेंगे इसके बाद इस सीट से कांग्रेस के टिकट से कोई प्रत्याशी चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं था। पूर्व विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक लखन घनघोरिया से भी पार्टी ने लोकसभा का चुनाव लड़ने की बात की लेकन वह तैयार नहीं हुए थे।

जबलपुर सीट पर एक नजर

 

कुल प्रत्याशी – 19

कुल मतदान केंद्र -2130

कुल मतदाता – 1894304

पुरुष मतदाता – 961997

महिला मतदाता – 932212

अन्य मतदाता – 95

जेंडर अनुपात – 970

नवीन मतदाता – 38149

वरिष्ठ मतदाता (85+) – 6755

दिव्यांग मतदाता – 22225

2 – छिंदवाड़ा लोकसभा सीट

 

आशीष मिश्रा, छिंदवाड़ा। देश भर की नजर प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट पर है। दरअसल यह कांग्रेस का अभेद्य किला माना जाता है जहां से कांग्रेस अब तक सिर्फ एक बार चुनाव हारी है। वर्ष 2014 और 2019 की मोदी लहर में भी यहां से कांग्रेस ने विजयश्री का वरण किया। यहां कांग्रेस से पूर्व सीएम कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं। वहीं भाजपा की ओर से विवेक बंटी साहू चुनावी मैदान में हैं।

बंटी इसके पूर्व विधानसभा चुनाव में खड़े हुए थे और पराजित हो गए थे। दोनों प्रमुख प्रतिद्वंद्वी दल के अलावा कुल 15 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में हैं। हर्रई, पांढुर्णा के कुछ क्षेत्रों में गोंगपा प्रभावी है। संसदीय निर्वाचन क्षेत्र छिंदवाड़ा के लिए छिंदवाड़ा और पांढुर्णा जिलों के 7 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में कुल 1939 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इन मतदान केंद्रों पर 16 लाख 32 हजार 190 मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। जिसमें 8 लाख 24 हजार 449 पुरूष, जबकि 8 लाख 7 हजार 726 महिला और 15 अन्य मतदाता शामिल हैं।

ये चुनाव पीएम मोदी बनाम कांग्रेस के बजाय स्थानीय बनाम बाहरी और नाथ परिवार और साहू परिवार की भावनात्मक अपीलों के बीच चलता रहा। भाजपा ने जिले के बेटे के सांसद बनाने का मुद्दा उठाया। वहीं कमल नाथ ने बीते 44 सालों के संबंधों की दुहाई देकर प्रचार किया। नाथ परिवार के जिले की जनता से भावुक लगाव पर जोर दिया। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के सामने लगातार पार्टी छोड़ने के कारण चुनौती बनी रही। पूर्व विधायक कमलेश शाह, दीपक सक्सेना, उनके बेटे अजय सक्सेना, महापौर विक्रम अहके समेत कई पार्षद और नेता पार्टी छोड़ चुके हैं।

3 – बालाघाट-सिवनी संसदीय सीट

 

योगेश गौतम, बालाघाट। आदिवासी बाहुल्य और नक्सल प्रभावित सीट में कल 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान होगा। इस बार भी इस सीट से त्रिकोणीय मुकाबला होगा। भाजपा ने नगर पालिका बालाघाट के वार्ड पार्षद और पूर्व जिला पंचायत सदस्य को टिकट दी है। वहीं, कांग्रेस ने लंबे इंतजार के बाद बालाघाट-सिवनी सीट से अपने अधिकृत प्रत्याशी की चौकाने वाली घोषणा की और जिला पंचायत अध्यक्ष और बालाघाट विधानसभा सीट से पूर्व विधायक अशोक सिंह सरस्वार के पुत्र सम्राट सिंह सरस्वार को टिकट देकर नए चेहरे पर दांव खेला।

दो बड़े दलों के सामने बसपा प्रत्याशी व पूर्व सांसद कंकर मुंजारे त्रिकोणीय मुकाबले की तीसरी ताकत के रूप में हैं। तीनों प्रत्याशियों में भाजपा की भारती पारधी आगे नजर आ रहीं हैं। 18.71 लाख मतदाताओं वाली इस सीट में 25 प्रतिशत वोटर पंवार समाज (ओबीसी) से हैं। भारती पारधी भी इसी समाज से आती हैं। ऐसे में भारती और भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है। इस सीट में दूसरी सबसे बड़ी 20 प्रतिशत आबादी आदिवासी (एसटी) वोटरों की है।

फिर 15-15 प्रतिशत लोधी और मरार समाज (ओबीसी) वोटर्स आते हैं। इन समाज के वोट भाजपा, कांग्रेस और बसपा में बंटेंगे। खासकर, लोधी समाज के कंकर मुंजारे लोधी वोटर्स की मदद से कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं। क्योंकि कांग्रेस के सम्राट सिंह सरस्वार सामान्य वर्ग से आते हैं, जिसकी जिले में बेहद कम आबादी है। जातिगत समीकरण में भाजपा को फायदा मिल सकता है, लेकिन कंकर मुंजारे कांग्रेस को जातिगत वोटों की राजनीति में नुक्सान पहुंचा सकते हैं।

कुल विधानसभा- आठ

(बालाघाट- छह, सिवनी-दो)

भारती पारधी : पहली बार टिकट मिली। वार्ड क्रमांक-22 की पार्षद। पूर्व सांसद भोलाराम पारधी की रिश्तेदार। भोलाराम पारधी इनके दादा ससुर थे। वर्ष 2000 में भारती पारधी जिला पंचायत सदस्य रही चुकी हैं। डेढ़ साल पहले नगरीय निकाय चुनाव में बालाघाट नपाध्यक्ष न बनाए जाने से भारती को लोगों की सहानुभूति मिली थी।

सम्राट सिंह सरस्वार : इन्हें भी पहली बार टिकट मिली है। जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। पूर्व विधायक अशोक सिंह सरस्वार के बेटे हैं। पेशे से उद्योगपति हैं।

कंकर मुंजारे : वर्ष 1989 में निर्दलीय चुनाव लड़ा और सांसद बने। इसके बाद वे लगातार सांसद व विधायक का चुनाव लड़ रहे हैं। हाल ही में उन्होंने परसवाड़ा विधानसभा से चुनाव लड़ा और हार गए।

कुल मतदान केंद्र- 2321

– बालाघाट जिले में मतदान केंद्र- 1675

– सिवनी जिले में मतदान केंद्र- 646

कुल मतदाता- 18 लाख 71 हजार 270

– बालाघाट जिले में मतदाता- 13 लाख 50 हजार 749

– सिवनी जिले में मतदाता- पांच लाख 20 हजार 521

4 – मंडला लोकसभा सीट

 

आशीष शुक्ला, मंडला। मंडला संसदीय क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते और कांग्रेस प्रत्याशी ओंकार सिंह मरकाम के बीच ही सीधा मुकाबला है।आठवीं बार चुनाव मैदान में उतरे फग्गन सिंह इसी लोकसभा क्षेत्र से छह बार जीत दर्ज कर चुके हैं, जबकि उन्हें मात्र 2009 के चुनाव में ही कांग्रेस प्रत्याशी बसोरी सिंह मसराम के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा था।श्री कुलस्ते को वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में अपने संसदीय क्षेत्र और गृह जिले की निवास विधानसभा से हार का सामना करना पड़ा था।

उनकी कॉग्रेस उम्मीदवार रहे चैन सिंह बरकड़े से 9723 मतों से हार और मंडला संसदीय क्षेत्र की आठ विधानसभा क्षेत्र में से पांच में कांग्रेस का कब्जा होने के चलते कांग्रेस इस लोकसभा चुनाव में काफी उत्साहित है। भाजपा संगठन सहित आरएसएस और भाजपा के दिग्गज नेता यहां कुलस्ते की जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर चुनाव प्रचार में लगा रहे हैं।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी फग्गन सिंह कुलस्ते और ओंकार सिंह मरकाम इसी सीट से आमने-सामने थे। यद्यपि इस चुनाव में फग्गन सिंह कुलस्ते ने ओमकार मरकाम को एक लाख से अधिक मतों से पराजित किया था।

केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला संसदीय क्षेत्र से अब तक वर्ष 1996, 1998, 1999, 2004 और 2014, वर्ष 2019 में छह बार निर्वाचित हो चुके हैं।

मंडला लोकसभा में आठ विधानसभा है शामिल

मंडला संसदीय क्षेत्र में चार जिलों की आठ विधानसभा शामिल है। इनमें मंडला जिले की बिछिया, निवास के साथ मंडला, डिंडौरी जिले से डिंडौरी और शहपुरा, सिवनी जिले से केवलारी, लखनादौन और नरसिंहपुर जिले से गोटेगांव विधानसभा शामिल है।लोकसभा में शामिल 8 विधानसभा में कांग्रेस का 5 में तो भाजपा का तीन में कब्जा है। कुल 21 लाख 1811 मतदाता है,जिनमें 1050243 पुरुष और 1051542 महिला मतदाता है। थर्ड जेंडर के 26 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। कुल 2614 मतदान केंद्र है, जिनमें 69293 पहली बार युवा वोट डालेंगे। 85 से अधिक उम्र के 8555 और दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 27444 है।

5 – शहडोल लोकसभा सीट

 

विनोद शुक्ला, शहडोल। लोकसभा सीट शहडोल के लिए पहले चरण में 19 अपैल को मतदान होना है। यहां 17 लाख मतदाता हैं, जो दस प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। इनमें 08 लाख 72 हजार पुरुष और 08 लाख 39 लाख महिला मतदाता शामिल है। इस बार भाजपा प्रत्याशी एवं सांसद हिमाद्री सिंह और कांग्रेस प्रत्याशी एवं विधायक फुंदेलाल सिंह के बीच ही मुकाबला है।

इनके अलावा बसपा, गोड़वाना गणतंत्र पार्टी और कम्युनिष्ट पार्टी सहित देा निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में हैं ,लेकिन उनके प्रति जनता को कोई रुझान नहीं है। प्रत्याशियों की घोषणा के बाद से ही यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला दिखना शुरू हो गया था,जो आखिरी तक बना रहा। कभी महौल भापजा के पक्ष में तो कभी कांग्रेस के पक्ष में भी दिखता रहा।

शहडोल संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभाएं हैं, जिनमें सात में भाजपा काबिज है और एक सीट पुष्पराजगढ़ पर कांग्रेस का कब्जा है और इसी विधानसभा के विधायक को कांग्रेस ने लोगसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया है। दस प्रत्याशियों में आठ अनूपपुर जिले के हैं,जिसमें भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशी तो एक ही क्षेत्र पुष्पराजगढ़ के है।

एक क्षेत्र के दो प्रमुख दलों के प्रत्याशी होने के कारण चुनाव रोचक रहा है। परिणाम कितना रोचक होगा,यह परिणाम आने के बाद ही सामने होगा। मतदान के आखिरी दिन तक भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने की जुगत में लगे रहे।जहां तक संभव हुआ डोर-टू-डोर भी पहुंचे,लेकिन अधिकांश क्षेत्र ऐसे भी जहां प्रत्याशी तो दूर कोई कार्यकर्ता भी नहीं पहुंच पाए।

6 – सीधी लोकसभा सीट

 

नीलांबुज पांडेय, सीधी। संसदीय क्षेत्र सीधी में भाजपा के डा राजेश मिश्रा और कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल के बीच सीधा मुकाबला है। अजय प्रताप सिंह राज्यसभा सदस्य भाजपा टिकट नहीं मिलने से बगावत कर मैदान में हैं। सीधी संसदीय सीट में तीन जिले की विधानसभा शामिल हैं। इस बार चुनाव मैदान में सिंगरौली जिले के सात, सीधी के सात शहडोल जिले के व्यौहारी विधानसभा के दो व मैहर जिले का एक प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा इस चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या घट गई है। बर्ष 2019 में संसदीय क्षेत्र में 26 प्रत्याशी मैदान में थे,इस बार आठ प्रत्याशी घटकर सिर्फ 17 ही रह गए हैं। तीनों जिले के आठ विधानसभा में सात पर भाजपा के विधायक हैं जबकि चुरहट विधानसभा में कांग्रेस से विधायक हैं। यहां कुल 20,24176 मतदाता हैं। जिसमें 10,49,352 पुरुष और 9,74,810 महिला,14 अन्य मतदाता हैं।

इस सीट पर वर्ष 2009 से लगातार भाजपा के कब्जे में है। हाल ही में हुए विधानसभा में सांसद रीती पाठक को सीधी विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा गया था। पेशाब कांड के बाद सीधी जिले का नाम देश ही नहीं दुनिया भर में चर्चा रहा हैं। भाजपा के डॉ राजेश मिश्रा पहली बार चुनाव मैदान में हैं तो वहीं कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल 10 बर्ष कांग्रेस से सिहावल विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं, हाल ही के विधानसभा चुनाव में करारी हार मिली है।

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