‘लाल’ हो रहे टमाटर के ढीले पड़े तेवर, 80 से गिरकर 15 रुपये तक पहुंचा भाव
HIGHLIGHTS
- महाराष्ट्र से आए नए टमाटरों की आवक के चलते गिर गए दाम।
- गांवों में 10-15, तो शहरों में 15-40 रुपये में बिक रहे टमाटर।
- झाबुआ से पाकिस्तान जाने वाले टमाटर का निर्यात भी हुआ बंद।
इंदौर-मालवा-निमाड़। जुलाई अंत और अगस्त की शुरुआत में जो टमाटर 80 रुपए किलो तक बिक रहा था, वह अब ‘टें’ बोल गया है। यह गांवों में 10 से 15 रुपये जबकि अलग-अलग शहरों में 15 से 40 रुपये प्रति किलो तक आ गया है।
किसानों को कुछ वर्ष पहले तक यह आस रहती थी कि स्थानीय बाजार में भाव नहीं भी मिलेंगे तो टमाटर पाकिस्तान निर्यात करने पर अच्छे दाम में बिक जाएगा। मगर, अब तो वह भी बंद है। नतीजतन, मालवा-निमाड़ का टमाटर उत्पादक किसान निराश है।
दाम धड़ाम… क्योंकि आवक बढ़ गई है
रतलाम मंडी में जिले सहित अन्य स्थानों से टमाटर की आवक बढ़ते ही भाव धड़ाम से नीचे आ गए हैं। एक माह पहले 150 से 200 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर अब 30 से 40 रुपये किलो बिक रहा है। थोक मंडी में टमाटर 15 से 20 रुपये किलो बिक रहा है।
किसानों के लिए नुकसान की स्थिति
धार जिले में टमाटर करीब 20 रुपये किलो बिक रहा है। हालांकि, अभी व्यापक स्तर पर किसानों ने टमाटर नहीं लगाया है। किसान दुर्गेश ठाकुर ने कहा कि दीपावली के आसपास टमाटर की आवक शुरू होगी। दिल्ली मंडी में यह बेचा जाता है।
वर्तमान में टमाटर के दाम कमजोर हैं। किसानों के लिए नुकसान की स्थिति बन रही है। खंडवा में टमाटर 15 से 20 रुपये किलो बिक रहा है। एक माह पहले 200 रुपये किलो बिक रहा था। टमाटर की ज्यादातर आवक महाराष्ट्र के नासिक से हो रही है।
अभी और गिरेंगे टमाटर के दाम
प्रदेश में महाराष्ट्र के टमाटर की आवक अधिक होने से दाम कम बने हुए हैं। कुछ ही दिनों में मालवा-निमाड़ के खेतों से भी टमाटर बाजार में आ जाएंगे। तब टमाटर के दाम और गिर जाएंगे। झाबुआ जिले के पेटलावद इलाके से करीब 15 टन टमाटर प्रतिदिन पाकिस्तान जाता था।
पाकिस्तान जाने वाले टमाटर पर थोक में 40 रुपये किलो तक के दाम मिल जाते थे। निर्यात बंद होने पर चार साल से यहां किसानों को नुकसान ही उठाना पड़ रहा है। टमाटर की खेती क्षेत्र में 20 साल से अधिक समय से की जा रही है।
ग्राम रायपुरिया, बरवेट, रूपगढ़, बावड़ी, कोदली, जामली, रामनगर, रामगढ़ सहित थांदला तहसील के खवासा आदि स्थानों पर टमाटर की खेती 1000 हेक्टेयर से प्रारंभ हुई। एक दशक पहले यह लगभग 6000 हेक्टेयर तक जा पहुंची थी।
कर्ज के जाल में फंस रहे किसान
किसान ईश्वरलाल पाटीदार, नूतन पाटीदार, रविंद्र पाटीदार, गंगाराम ने बताया कि हमने सरकार को पांच साल पहले ही पाकिस्तान के बाजार का विकल्प खोजने को कहा था। मगर, सरकार कोई विकल्प नहीं ढूंढ पाई। अब किसान करें तो क्या करें।
नुकसान होने पर किसान कर्ज के जाल में फंसता जा रहा है। कृषि विस्तार अधिकारी टीएस मेड़ा का कहना है कि पहले के मुकाबले टमाटरों का रकबा कम हुआ है। आवक बढ़ जाने से दामों में कमी आ जाती है, इससे किसानों में इस उपज के प्रति अरुचि पैदा हो रही है।