Janmashtami Muhurat 2024: कब है जन्माष्टमी… वृषभ राशि में विराजित रहेंगे चंद्रमा, जयंती योग का होगा निर्माण

Kab Hai Janmashtami: कुछ ही दिनों बाद जन्‍माष्‍टमी पर्व मनाया जाएगा। हिंदू मान्यता के अनुसार, धरती को अधर्म से मुक्ति दिलाने के लिए इस दिन भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था। जन्‍माष्‍टमी पर व्रत रखने और श्रीकृष्ण का पूजन करने से तमाम संकटों से मुक्ति मिलती है। यहां आपको श्रीकृष्ण पूजन का समय बताते हैं।

HIGHLIGHTS

  1. सुबह 3: 40 बजे शुरू होगी अष्टमी तिथि
  2. 27 अगस्त को कर सकेंगे व्रत का पारण
  3. इस बार जयंती योग का भी होगा निर्माण

धर्म डेस्क (Janmashtami Date 2024) इंदौर। जन्‍माष्‍टमी में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं। मान्‍यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में धरती पर अवतार लिया था। श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। जबकि, उनका बचपन गोकुल और वृंदावन में बीता था।

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भादो माह (भाद्रपद मास) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है। मंदिरों में श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है और रात 12 बजे श्रीकृष्‍ण जन्‍म के समय पर मंदिरों में विशेष आरती की जाती है। यहां आपको बताते हैं, इस बार जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी और इसका शुभ मुहूर्त क्या है।

 

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जन्माष्टमी 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त – Janmashtami Subh Muhurat, Tithi 2024

हिंदू पंचांग की मानें तो इस बार 26 अगस्त (सोमवार) को मनाया जाएगा। सुबह 3 बजकर 40 मिनट से अष्टमी तिथि शुरू होगी और अगले दिन यानी 27 अगस्त को सुबह 2 बजकर 19 मिनट पर इसका समापन होगा। पूजा का शुभ समय मध्य रात्रि 12:02 से रात्रि 12:45 तक रहेगा। व्रत का पारण 27 अगस्त को सुबह 6:36 तक किया जा सकता है।

ज्योतिषियों के अनुसार, इस साल जन्माष्टमी पर चंद्रमा, वृषभ राशि में विराजित रहेंगे, जिससे जयंती योग का निर्माण होगा। इस योग में पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।

 

जन्माष्टमी 2024 पर व्रत का महत्‍व

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत काफी शुभ फलदायी होता है। इससे 100 जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही व्रती को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है और वह उत्तम योनि में जन्म लेता है।

 

इन नियमों का करें पालन

जन्‍माष्‍टमी व्रत करना शुभ फलदायी माना गया है। हालांकि, इस दिन कई नियमों का पालन जरूरी होता है।

  • जन्माष्टमी व्रत के दिन अन्न ग्रहण न करें।
  • व्रत का पारण अष्टमी तिथि के बाद करें।
  • वत में मन में कोई गलत विचार न लाएं।
  • मांस, मदिरा के सेवन से दूर रहना चाहिए।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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