छत्तीसगढ़ में मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर खुलने से कारोबारियों को मिलेगी मदद, नई नौकरियों के खुलेंगे रास्ते
छत्तीसगढ़ में मैन्यूफैक्चरिंग कलस्टर को बढ़ावा देने के लिए सरकारी छूट और कई योजनाओं के प्रविधान हैं मगर क्लस्टर नहीं होने से प्रदेश कमजोर पड़ता दिख रहा है। नए बजट से उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में काम करेगी तो छत्तीसगढ़ में भी नई संभावनाओं को जगह मिलेगी।
HIGHLIGHTS
- छूट और योजनाओं की कमी नहीं पर मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर में कमजोर है छत्तीसगढ़
- शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में खुलने से शिल्पियों, उद्यमियों को मिल सकती है मदद
- 2023-24 में प्रदेश में कोसा उत्पादन में एक लाख से अधिक लोगों को मिला रोजगार
रायपुर। छत्तीसगढ़ में मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर खुलने से प्रदेश के शिल्पियों, उद्यमियों व कारोबारियों को बड़ी मदद मिल सकती है। इसके साथ ही नई नौकरियों के लिए रास्ते खुल सकते हैं। केंद्रीय वित्त आयोग ने पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में प्रवास के दौरान कुछ ऐसे ही बातों को उल्लेख करते हुए राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया था।
केंद्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं पर गौर करें तो ब्याज अनुदान से लेकर सब्सिडी आदि कई सुविधाएं हैं, लेकिन सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों (एमएसएमई) के लिए मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर को लेकर अभी तक ऐसा कोई स्थान तय नहीं हुआ है, जहां एक साथ छोटे उद्योगों व कारखानों की स्थापना हो सके।
विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार आम बजट में यह प्रविधान कर सकती है, जिसमें मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर बनाने की बात हो। छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्प, बुनकर-हथकरघा की मांग विदेश में भी हैं। ऐसे में बस्तर, जशपुर आदि क्षेत्रों के उद्यमियों के लिए ऐसे क्लस्टर से बड़ी सौगात मिल सकती है।
साथ ही प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कई ऐसे मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट हैं, जिसे एक स्थान पर जमीन व सुविधाओं की जरूरत है। अधोसंरचना विकास के साथ-साथ केंद्रीय मदद से यह प्रोजेक्ट प्रदेश के लघु एवं सूक्ष्म उद्यमियों के लिए मददगार साबित हो सकती है।
बिहार के औद्योगिक कारीडोर में प्रविधान
इंटीग्रेटेड मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर (आइएमसी) का प्रविधान बिहार में किया गया है। अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक कारीडोर के पास 10 वर्ग किमी. में विकसित होने वाले इस प्रोजेक्ट को विस्तार करने का निर्णय केंद्र व राज्य सरकार ने लिया था। इसका मकसद औद्योगिक व व्यापारिक गतिविधियों में तेजी लाना था।
प्रदेश में सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों की स्थिति
प्रदेश में खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के उत्पादन केंद्र कुंवरगढ़, सारागांव, मैनपुर, गरियाबंद, भगतदेवरी, तिफरा बिलासपुर हरदी बाजार, देवराबीजा, डिमरापाल में संचालित हैं। साथ ही वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रदेश में कोसा उत्पादन में एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला।
सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों की प्रदेश में 10 हजार से अधिक इकाइयां हैं। प्लास्टिक के क्षेत्र में रायपुर के उरला,भनपुरी में बड़ा कारोबार है, लेकिन यह अलग-अलग स्थानों पर विस्तारित है। रायगढ़, कोरबा, दुर्ग-भिलाई, रायपुर, मंदिर हसौद में स्टील सेक्टर के आश्रित उद्योग कई छोटी यूनिटों में मैन्यूफैक्चरिंग कर रहे हैं।
इन क्षेत्रों के लिए मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर की संभावनाएं
स्टील सेक्टर के आश्रित उद्योग, हथकरघा-बुनकर, कपड़ा, हर्बल उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण, खिलौने, ई-व्हीकल की जरूरतों के सामान, प्लास्टिक सेक्टर, स्टेशनरी,फर्नीचर आदि।
सफल नहीं हो सका नवा रायपुर में इलेक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर
डा. रमन सिंह के कार्यकाल में नवा रायपुर में इलेक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर का प्रस्ताव तैयार किया गया था। 70 एकड़ क्षेत्रफल में विस्तारित इस प्रोजेक्ट में 50 से अधिक उद्योगों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें 5000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलता। जनवरी 2016 में राज्य के इस प्रस्ताव को केंद्र ने मंजूरी दी थी, लेकिन इस विशेष औद्योगिक पार्क का सपना साकार नहीं हो सका।
यहां इलेक्ट्रानिक उपकरणों के निर्माण के साथ-साथ सीसीटीवी, कैमरा, एलईडी, कंप्यूटर से संबंधित उद्योगों की स्थापना प्रस्तावित थी। कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार ने भी इस क्लस्टर पर विशेष कार्य नहीं किया। सूत्रों के मुताबिक जमीन आरक्षित होने के बाद यहां उद्योग नहीं लग सके। तब सिंगल विंडो सिस्टम अप्रभावी होने की वजह से भी उद्योगों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई।
छत्तीसगढ़ स्टील-रि रोलर्स एसोसिसएशन के पूर्व अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने कहा, छत्तीसगढ़ में मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना होने से सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को बड़ी मदद मिलेगी। केंद्र व राज्य सरकार को मिलना प्रस्ताव तैयार करना चाहिए। इससे कोर सेक्टर के उद्योगों को भी फायदा होगा।