Gupt Navratri 2024: मां त्रिपुर भैरवी को समर्पित है गुप्त नवरात्र का छठवां दिन, रहस्यमयी है देवी की उत्पत्ति से जुड़ी कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्रि में मां त्रिपुर भैरवी की पूजा करने से सभी प्रकार के कानूनी मामलों से छुटकारा मिलता है। दुर्गा सप्तशती में मां त्रिपुर भैरवी के उग्र स्वरूप की कांति हजारों उगते सूर्य के समान बताई गई है। कुछ कथाओं में में देवी मां को महाकाली और तारा देवी का संयोजन माना गया है।
HIGHLIGHTS
- 10 महाविद्याओं में से एक मानी जाती हैं त्रिपुर भैरवी।
- मां त्रिपुर भैरवी की साधना एकांत में ही की जाती है।
- महाकाली के छाया विग्रह से ही हुई है देवी की उत्पत्ति।
धर्म डेस्क, इंदौर। Gupt Navratri 2024: इस समय गुप्त नवरात्र चल रहे हैं। आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र का बहुत महत्व होता है। इस दौरान दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। तंत्र साधना करने वालों के लिए यह अवधि खास होती है। गुप्त नवरात्र का छठा दिन मां त्रिपुर भैरवी को समर्पित माना जाता है। माता का यह स्वरूप अहंकार का नाश करता है। मां त्रिपुर भैरवी की साधना एकांत में की जाती है। मां त्रिपुर भैरवी की पूजा करने वालों को विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है। आइए, जानते हैं कि मां त्रिपुर भैरवी की उत्पत्ति कैसे हुई थी।
मां त्रिपुर भैरवी की उत्पत्ति
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार महाकाली के मन में फिर से गोरा रंग पाने का विचार आया। जिसके बाद देवी अन्तर्धान हो जाती हैं। जब महादेव काली को अपने सामने नहीं पाते, तो चिंतित हो जाते हैं और देवर्षि नारद से देवी के बारे में पूछते हैं। तब नारद उन्हें देवी के बारे में बताते हुए कहते हैं कि वह उत्तरी सुमेरु में प्रकट होंगीमहादेव के आदेश के अनुसार, नारद देवी को खोजने के लिए निकल पड़े। उत्तरी सुमेरु पहुंचने पर नारद ने देवी के सामने महादेव से विवाह करने का प्रस्ताव रखा।
इस प्रस्ताव से क्रोधित होकर देवी ने अपने शरीर से अपना षोडशी रूप प्रकट किया। अत: त्रिपुर भैरवी, महाकाली के छाया रूप से प्रकट हुईं। रुद्रामल तंत्र के अनुसार, सभी दस महाविद्याएं भगवान शिव की शक्तियां हैं और देवी भागवत के अनुसार, छठी महाविद्या त्रिपुर भैरवी, महाकाली का ही रौद्र रूप हैं। इनके कई भेद हैं जैसे त्रिपुर भैरवी, चैतन्य, सिद्ध, भुवनेश्वर, सम्पदाप्रद, कमलेश्वरी, कौलेश्वर, कामेश्वरी, नित्या, रुद्र, भद्र और शतकुत आदि।
तंत्र शास्त्र के अनुसार
तांत्रिक ग्रंथों के अनुसार, मां त्रिपुर भैरवी संसार के तीनों लोकों (भुर्लोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक) में व्याप्त बुराई और अराजकता का अंत करती हैं। ‘त्रिपुरा’ का अर्थ है ‘तीन लोक’ और ‘भैरवी’ का अर्थ है ‘भय को दूर करने वाली देवी’। उन्हें तीनों लोकों की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है, जो अपने भक्तों को भय और बुराई से मुक्त करती हैं।
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