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Mangala Gauri Vrat 2024: ऐसे हुई थी मंगला गौरी व्रत की शुरुआत, पढ़िए इससे जुड़ी पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में मंगला गौरी व्रत को शुभ फलदायी माना गया है। इस बार सावन माह में चार बार मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा। इस व्रत के प्रभाव से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। मंगला गौरी व्रत कथा के बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है।

HIGHLIGHTS

  1. सावन शुरू होने के अगले दिन से मंगला गौरी व्रत शुरू होगा।
  2. मंगला गौरी व्रत पर माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है।
  3. इस व्रत के प्रभाव से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

धर्म डेस्क, इंदौर। Mangala Gauri Vrat 2024: हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित सावन का महीना 22 जुलाई सोमवार से शुरू हो रहा है। सावन महीने का सोमवार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं, सावन महीने के मंगलवार का भी खास महत्व है। यह दिन माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन महिलाएं मंगला गौरी व्रत रखती हैं। इस बार सावन के पहले दिन भोलेनाथ और दूसरे दिन गौरी माता की विधि-विधान से पूजा की जाएगी।

इस दिन रखा जाएगा मंगला गौरी व्रत

  • सावन
    • इसके बाद दूसरा मंगला गौरी व्रत 30 जुलाई को रखा जाएगा, दूसरा 6 अगस्त को और चौथा और अंतिम मंगला गौरी व्रत 13 अगस्त को मनाया जाएगा।
    • इन सभी दिनों में मां पार्वती की विशेष पूजा की जाएगी। विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना के लिए और अविवाहित लड़कियां अच्छे पति की कामना से यह व्रत रखती हैं।

    मंगला गौरी व्रत कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में धर्मपाल नाम का एक व्यापारी था, जिसके पास धन की कोई कमी नहीं थी। वे स्वयं सभी गुणों से सम्पन्न थे। वह देवों के देव महादेव के भक्त थे। बाद में सेठ धर्मपाल का विवाह एक प्रतिभाशाली दुल्हन से हो गया। हालांकि, उनकी शादी के बाद कई सालों तक उनकी कोई संतान नहीं हुई। इससे व्यापारी चिंतित हो गया।

    वह सोचने लगा कि यदि उसकी कोई संतान नहीं होगी, तो उसके व्यवसाय का उत्तराधिकारी कौन होगा? एक दिन सेठ धर्मपाल की पत्नी ने उन्हें बच्चे के संबंध में किसी बड़े पंडित से संपर्क करने की सलाह दी। अपनी पत्नी की सलाह पर व्यापारी शहर के सबसे प्रसिद्ध पंडित से मिलने गया। उस समय गुरु ने व्यापारी दंपति को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने की सलाह दी।

    देवी पार्वती ने दिया था आशीर्वाद

    बाद में व्यापारी की पत्नी ने विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की। व्यापारी धर्मपाल की पत्नी की भक्ति से प्रसन्न होकर एक दिन देवी पार्वती प्रकट हुईं और बोलीं – हे देवी! मैं तुम्हारी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूं, जो उपहार चाहो मांग लो। आपकी हर इच्छा अवश्य पूरी होगी। उस समय धर्मपाल की पत्नी को संतान चाहिए थी। देवी पार्वती ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। हालांकि, संतान अल्पायु था।

    एक साल बाद धर्मपाल की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। जब पुत्र का नामकरण हुआ, तो धर्मपाल ने ज्योतिषी को देवी पार्वती के वचन के बारे में बताया। तब ज्योतिषी ने धर्मपाल को अपने पुत्र का विवाह मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से करने की सलाह दी। ज्योतिषी की सलाह के अनुसार, सेठ धर्मपाल ने अपने पुत्र का विवाह मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से किया। लड़की के पुण्य प्रताप से धर्मपाल का बेटा मौत के चंगुल से मुक्त हो गया।

    डिसक्लेमर

    ‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

     शुरू होने के अगले दिन 23 जुलाई से मंगला गौरी व्रत शुरू होगा। इस दिन पहला मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा।

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