Premanand Maharaj: ओवरथिंकिंग से हैं परेशान, तो प्रेमानंद महाराज ने बताया इससे निपटने का आसान तरीका, जल्द मिलेगा छुटकारा

आज युवा ओवर थिंकिंग के अधिक शिकार हो रहे हैं। किसी बात को बेवजह लंबे समय तक सोचना ओवर थिंकिंग कहलाता है। इससे कई मानसिक समस्याएं हो सकती है। यदि आप भी इससे परेशान हैं, तो प्रेमानंद महाराज ने इससे बचने के आसान उपाय बताए हैं, जिससे न सिर्फ आपको इस समस्या से छुटकारा मिलेगा बल्कि आप प्रसन्न भी रहने लगेंगे।

HIGHLIGHTS

  1. ओवर थिंकिंग में होती है भविष्य की चिंता
  2. प्रेमानंद महाराज ने बताया इसका निराकरण
  3. ओवर थिंकिंग होने पर नाम जप कर सकते हैं

धर्म डेस्क, इंदौर (Premanand Maharaj)। इन दिनों लोगों में ओवरथिंक की समस्या काफी बढ़ गई है। ओवर थिंकिंग का अर्थ है कि किसी भी बात के बारे में बेवजह लंबे समय तक सोचना। कई बार डर के कारण भी ओवर थिंकिंग होने लगती है। इसके अलावा चिंता, तनाव, कंफ्यूजन, इनसिक्योरिटी या कुछ भी उलझन भरी स्थिति होने पर भी ओवर थिंकिंग की समस्या बनती है।

ओवर थिंकिंग से मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को काफी नुकसान पहुंचता है और व्यक्ति तनाव से गुजरता है। प्रसिद्ध कथावाचक प्रेमानंद महाराज ने अपने प्रवचन में ओवर थिंकिंग से बचने के तरीके बताए हैं।

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क्‍या कहते हैं प्रेमानंद महाराज

प्रेमानंद महाराज ने बताया कि आज व्यक्ति सबसे ज्यादा ओवर थिंकिंग से परेशान है। कल, परसों और आगे क्या होगा इसको लेकर वह परेशान है। प्रेमानंद महराज के अनुसार, जब भी ओवर थिंकिंग होने लगे तब आप नामजप करें, शास्त्रों का अध्‍ययन करें और माता-पिता की सेवा करें। प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ऐसा करने से आप प्रसन्न रहने लगोगे।

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क्या है ओवर थिंकिंग के नुकसान

ओवर थिंकिंग से गंजेपन और एलोपेसिया नाम की हार्मोनल प्रॉब्लम होती है। साथ ही सीने में दर्द, चक्कर आना जैसे लक्षण भी दिखने लगते हैं। ओवरथिंकिंग से मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर भी असर पड़ता है, जिससे व्यक्ति डिप्रेशन में भी जा सकता है और शराब या ड्रग्स की लत भी लग सकती है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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