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Shani Jayanti 2024: भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त हैं शनिदेव, शनि जयंती पर इस तरह करें प्रसन्न

धर्म डेस्क, इंदौर। Shani Jayanti 2024: हर साल शनि जयंती ज्येष्ठ माह की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन यानी अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष शनि जयंती 6 जून को पड़ रही है। दक्षिण भारत में शनि जयंती वैशाख मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस बार दक्षिण भारत समेत देश के कई हिस्सों में वैशाख अमावस्या यानी 8 मई को शनि जयंती मनाई जाएगी। इस दिन न्याय के देवता शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है।

इस दिन मनोकामना पूर्ति के लिए शनिदेव के निमित्त व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि शनिदेव की पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी शनिदेव की कृपा पाने के लिए वैशाख अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त में न्याय के देवता की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।

शनि जयंती कब है?

पंचांग के अनुसार, वैशाख अमावस्या की तिथि 8 मई को सुबह 08 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। इसके बाद वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। इस दिन वैशाख अमावस्या और शनि जयंती मनाई जाने वाली है। इस दिन सुबह स्नान, ध्यान करके पूजा, जप-तप और दान कर सकते हैं।

इस समय करें शनिदेव की पूजा

सनातन धर्म शास्त्रों में वर्णित है कि शनिदेव देवों के देव महादेव के बहुत बड़े भक्त हैं। अपने पिता की सलाह पर शनिदेव ने भगवान शिव की कठिन तपस्या की थी। कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शनिदेव को न्याय करने का अधिकार दिया। इसी कारण शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। इसलिए भगवान शिव की पूजा करने से शनिदेव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।

ज्योतिषियों के मुताबिक, शनि जयंती पर दुर्लभ शिववास योग बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 08:51 बजे तक चलता रहेगा। इस दौरान शनिदेव की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। शिववास योग के दौरान महादेव का जलाभिषेक करने से साधक को भगवान की कृपा प्राप्त होती है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

 
 

 

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