Akshaya Tritiya 2024: क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया, जानिए सतयुग-त्रेतायुग से लेकर भगवान विष्णु और परशुराम तक जुड़ी मान्यताएं"/>

Akshaya Tritiya 2024: क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया, जानिए सतयुग-त्रेतायुग से लेकर भगवान विष्णु और परशुराम तक जुड़ी मान्यताएं

HIGHLIGHTS

  1. इस साल अक्षय तृतीया का त्योहार 10 मई शुक्रवार को मनाया जाने वाला है।
  2. अक्षय तृतीया पर माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा की जाती है।
  3. अक्षय तृतीया को कई कारणों से साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है।

धर्म डेस्क, इंदौर। Akshaya Tritiya 2024: वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है। अक्षय तृतीया में कई तरह की नई चीजें खरीदी जाती है और दान-पुण्य के कार्य किए जाते हैं। अक्षय तृतीया पर खासतौर पर सोने की खरीदारी की जाती है। इस साल अक्षय तृतीया का त्योहार 10 मई शुक्रवार को मनाया जाने वाला है। अक्षय तृतीया पर माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों अपनी उच्च राशि में स्थित होते हैं।

अक्षय तृतीया मुहूर्त

वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि 10 मई 2024 को प्रातः 4:17 बजे प्रारंभ होगी। वहीं, यह तिथि 11 मई को 02:50 बजे समाप्त होगी। ऐसे में अक्षय तृतीया का त्योहार 10 मई, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ समय सुबह 5.33 बजे से दोपहर 12.18 बजे तक रहेगा।

क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया?

अक्षय तृतीया को कई कारणों से साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया से ही सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ हुआ था। इसी दिन भगवान विष्णु ने नर नारायण का अवतार भी लिया था। भगवान परशुराम का जन्म भी अक्षय तृतीया को ही हुआ था। इसी शुभ तिथि से भगवान गणेश ने महाभारत काव्य लिखना प्रारंभ किया था।

इतना ही नहीं, बद्रीनाथ के कपाट केवल अक्षय तृतीया से ही खुलते हैं और केवल इसी दिन ही वृन्दावन में भगवान बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन होते हैं। कहा जाता है कि इसी दिन मां गंगा भगवान विष्णु के चरणों से धरती पर अवतरित हुई थीं। वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया या आखा तीज के रूप में भी जाना जाता है। इसे अक्षय तीज भी कहते हैं।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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