MP News: भोपाल नहीं, अब उज्जैन से होगा मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का संचालन, अधिसूचना जारी
सिंहस्थ 2028 की तैयारी के तहत मध्य प्रदेश का धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मुख्यालय उज्जैन में स्थानांतरित होगा। इसके लिए 12 विभागों की टास्क फोर्स बनाई गई है और इंदौर-उज्जैन सड़क मार्ग के चौड़ीकरण की स्वीकृति दी गई है। मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना भी उज्जैन से संचालित होगी।
HIGHLIGHTS
- उज्जैन में स्थानांतरित होगा धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मुख्यालय।
- सिंहस्थ की तैयारी के लिए 12 विभागों की टास्क फोर्स का गठन।
- इंदौर-उज्जैन सड़क मार्ग के चौड़ीकरण की स्वीकृति दी गई है।
भोपाल। मध्य प्रदेश का धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मुख्यालय अब उज्जैन में स्थानांतरित होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर सिंहस्थ 2028 से पहले मुख्यालय उज्जैन में स्थानांतरित कर वहां से ही संचालित किया जाएगा। राज्य सरकार ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है।
अभी सतपुड़ा भवन में है मुख्यालय
अभी भोपाल स्थित सतपुड़ा भवन में धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का मुख्यालय संचालित हो रहा है। अब मुख्यालय उज्जैन स्थित सिंहस्थ मेला प्राधिकरण के भवन में संचालित किया जाएगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का संचालन भी उज्जैन से ही किया जाएगा।
उज्जैन में बैठेगा पूरा स्टाफ
मुख्यालय के संचालक सहित पूरा स्टाफ उज्जैन में बैठेगा। राज्य सरकार वर्ष 2028 में होने वाले सिंहस्थ की तैयारी शुरू कर चुकी है। सिंहस्थ के लिए 500 करोड़ रुपये का बजट व्यय किया जाएगा। इसमें केंद्र सरकार से भी वित्तीय मदद ली जाएगी। इसी क्रम में यह मोहन सरकार की पहली पहल है।
12 विभागों की टास्क फोर्स का गठन
श्री महाकाल लोक बनने के बाद जिस तरह से उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है, उसे ध्यान में रखते हुए सिंहस्थ क्षेत्र के विस्तार और भूमि उपयोग के नए विकल्प पर विचार करने के लिए 12 विभागों की टॉस्क फोर्स का गठन किया गया है।
सिंहस्थ में भूमिका निभाने वाले सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव के साथ उज्जैन कमिश्नर, महानिरीक्षक, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को शामिल किया है। टास्क फोर्स वर्ष 2004 और 2016 में हुए सिंहस्थ की संपूर्ण मेला क्षेत्र की योजना, भूमि आवंटन और आरक्षण के अभिलेखों का परीक्षण करके प्रतिवेदन तैयार करने में जुटा है।
सड़क मार्ग के चौड़ीकरण को स्वीकृति
इंदौर-उज्जैन सड़क मार्ग के चौड़ीकरण की स्वीकृति दी जा चुकी है तो रोप-वे भी सिंहस्थ से पहले प्रारंभ करने की तैयारी है। दूषित जल को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए जल संसाधन विभाग काम कर रहा है। 24 घाटों का निर्माण भी प्रस्तावित किया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि उन सभी कार्यों को अभी प्रारंभ कर दिया जाएगा, जिन्हें पूरा होने में तीन वर्ष लगने हैं। इसकी कार्ययोजना भी तैयार हो चुकी है।