चार धाम की तरह छत्‍तीसगढ़ में जुड़ेंगे पांच शक्तिपीठ, केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने राज्य सरकार के प्रस्ताव को किया मंजूर"/> चार धाम की तरह छत्‍तीसगढ़ में जुड़ेंगे पांच शक्तिपीठ, केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने राज्य सरकार के प्रस्ताव को किया मंजूर"/>

चार धाम की तरह छत्‍तीसगढ़ में जुड़ेंगे पांच शक्तिपीठ, केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने राज्य सरकार के प्रस्ताव को किया मंजूर

केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने छत्‍तीसगढ़ सरकार की महत्वकांक्षी योजना में शामिल 1,000 किमी लंबी शक्तिपीठ परियोजना का पूरा प्रस्ताव, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट, कार्यों की वर्तमान स्थिति और प्रगति रिपोर्ट मांगी है। केंद्र सरकार की ओर से डोंगरगढ़ स्थित बमलेश्वरी माता मंदिर को पहले ही 48.44 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।

HIGHLIGHTS

  1. भाजपा ने विधानसभा चुनाव के मेनिफेस्टो में की थी शक्तिपीठ परियोजना की घोषणा
  2. सरकार गठन के बाद बजट में शक्तिपीठ परियोजना के लिए पांच करोड़ का किया प्रविधान
  3. केंद्र सरकार ने डोंगरगढ़ स्थित बमलेश्वरी माता मंदिर को पहले ही दिए 48.44 करोड़ रुपये

रायपुर। केंद्र सरकार ने पर्यटन के क्षेत्र में छत्‍तीसगढ़ को बड़ी सौगात दी है। प्रदेश में उत्तराखंड की चार धाम परियोजना की तर्ज पर पांच शक्तिपीठों रतनपुर में महामाया, चंद्रपुर में चंद्रहासनी, डोंगरगढ़ में बम्लेश्वरी, दंतेवाड़ा में दंतेश्वरी मंदिर और सूरजपुर स्थित कुदरगढ़ मंदिर को विकसित करके एक-दूसरे से जोड़ा जाएगा। राज्य सरकार के इस प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में शक्तिपीठ परियोजना की घोषणा की थी। सरकार गठन के बाद बजट में शक्तिपीठ परियोजना के लिए पांच करोड़ का प्रविधान किया गया है।

केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना में शामिल 1,000 किमी लंबी शक्तिपीठ परियोजना का पूरा प्रस्ताव, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट, कार्यों की वर्तमान स्थिति और प्रगति रिपोर्ट मांगी है। केंद्र सरकार की ओर से डोंगरगढ़ स्थित बमलेश्वरी माता मंदिर को पहले ही 48.44 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।

सूरजपुर स्थित कुदरगढ़ मंदिर और जशपुर, कुनकुरी, मैनपाट, कमलेशपुर, महेशपुर, कुरदार, सरोधादादर, गंगरेल, कोंडागांव, नथियानवागांव, जगदलपुर चित्रकोट, तीरथगढ़ के विकास के लिए 96.10 करोड़ रुपये स्वीकृति मिली है। स्वदेश दर्शन 2.0 के तहत दो अन्य गंतव्यों को चिन्हित किया गया है, जिसके लिए परियोजना विकास प्रबंधन सलाहकार (पीडीएमसी) की चयन प्रक्रिया जारी है।

राजिम में राजीव लोचन कारिडोर का निर्माण

राजिम को प्रदेश का प्रयाग कहा जाता है। महानदी, पैरी तथा सोंढुर नदी का संगम होने के कारण इसे छत्तीसगढ़ का त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है। प्रदेश के लोगों के लिए यह स्थान आस्था का बड़ा केंद्र है। केंद्र सरकार ने इसे धार्मिक पर्यटन के रूप में विश्व में पहचान दिलाने के लिए प्रसाद योजना (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान) में शामिल किया है। योजना में पुरखौती मुक्तांगन में कन्वेंशन सेंटर निर्माण तथा सिरपुर के बागेश्वरी मंदिर के जीर्णोद्धार को भी शामिल किया गया है। प्रसाद योजना के तहत केंद्र सरकार का लक्ष्य देश के तीर्थ स्थलों को विकसित करना है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button