Raipur Roar Accident: बच सकती थी दोनों डाक्टरों की जान, अगर हादसे के बाद खुल जाता एयरबैग
रायपुर। रिम्स के दो डाक्टरों की सड़क हादसे में मौत हो गई। कार चलाने के दौरान डाक्टर ने सीट बेल्ट लगाकर रखा था। इसके बाद भी कार का एयर बैग नहीं खुला। अगर एयर बैग खुलता तो संभवत: जान बच सकती थी। दो डाक्टर मृतक के सिर में सीधे चोट आने मौके पर ही मौत हो गई।
जानकारी के अनुसार हादसे में गुजरात निवासी डा. स्मित पटेल, राजस्थान के कोटा निवासी डा. ऋषभ प्रसाद अपने अन्य साथियों और जूनियर्स के साथ सुबह छह बजे गोढ़ी स्थित रिम्स जा रहे थे। इस दौरान कार अनियंत्रित होकर डिवाइडर पर चढ़कर पलट के दूसरे तरफ की रोड में चली गई। इस दौरान रिम्स की डाक्टरों की गाड़ी आ रही थी वह भी उसकी चपेट में आ गई। इससे वह गाड़ी भी पलट गई। उसमें बैठे दो डाक्टर गंभीर रूप से घायल हो गए।
गंभीर रूप से घायलों का इलाज जारी
हादसे में डा. स्मित रिम्स से एमडी और ऋषभ प्रसाद एबीबीएस में इंटर्नशिप कर रहे थे। वहीं डा. शशांक शक्ती, एमडी निवासी नागपुर महाराष्ट्र, जियांशु वर्मा, एबीबीएस निवासी देवरिया उप्र, पल्लव राय, एनेस्थेटिक निवासी बस्तर छत्तीसगढ़ और पवन कुमार राठी, एनेस्थेटिक निवासी गुजरात पढ़ाई कर रहे हैं। चार घायलों का इलाज जारी है। हालत गंभीर बनी हुई है। दो लोग सुबह नागपुर के लिए निकले थे। इसी दौरान हादसा हो गया।
इस वजह से नहीं खुल पाते एयरबैग
काम कैसे करते है
एयरबैग सेंसर कंट्रोल से जुड़े होते हैं। 60 से 80 किमी/घंटे की स्पीड से हादसा होने पर एयरबैग खुल जाते है। टक्कर के बाद एयरबैग 200 किमी/ घंटे के रफ्तार से खुल जाता है, लेकिन यह स्पीड सेंसटीव नहीं है।
क्यों खुल नहीं पाते
सीट बैल्ट लगे होने की स्थिति में ही एयरबैग खुलते हैं। झटके के बाद एयरबैग ट्रीगर सेंसर होते है, लेकिन वाहनों पर गार्ड या बुल बार्स लगे होते है तो सेंसर भी उतनी तेजी के साथ काम नहीं कर पाता। क्योंकि झटका सेंसर तक नहीं पहुंच पाता।