Chambal News: चंबल के घड़ियाल पंजाब की बढ़ा रहे शान, अब संख्या 94 पर पहुंची"/>

Chambal News: चंबल के घड़ियाल पंजाब की बढ़ा रहे शान, अब संख्या 94 पर पहुंची

बीहड़ क्षेत्र में बहने वाली चंबल नदी घड़ियालों का दुनिया में सबसे बड़ा ठिकाना है। कई नदियों में उनकी संख्या घट रही है लेकिन चंबल में घड़ियालों का वंश लगातार बढ़ रहा है। अब स्थिति यह है कि यहां से घड़ियाल अन्य नदियों के लिए भेजे जा रहे हैं।

HIGHLIGHTS

  1. पंजाब में 1970 के बाद से नहीं देखे गए थे घड़ियाल
  2. पंजाब को भाये चंबल नदी के घड़ियाल
  3. पंजाब सरकार ने मध्य प्रदेश सरकार के जरिये घड़ियाल लिए थे
भिंड। चंबल के घड़ियाल अब पंजाब की नदियों की शान बढ़ा रहे हैं। केंद्र और पंजाब सरकार के सामूहिक प्रयास से अब व्यास, चक्की और सतलुज नदी के 235 किमी दायरे में चंबल से लाए गए 94 घड़ियाल बड़े हो चुके हैं।
अब इनका कुनबा बढ़ाए जाने को लेकर चंबल घड़ियाल सेंक्चुरी के देवरी घड़ियाल सेंटर की तर्ज पर हेचिंग सेंटर शुरू किए जाएंगे। बता दें कि इन नदियों के किनारे बसे 75 गांवों के लोगों को जागरूक किया गया है कि घड़ियाल किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। इनमें 1200 लोग घड़ियाल मित्र के रूप में विभाग के साथ काम भी कर रहे हैं।

स्वच्छ नदियों में रहना और नदियों को स्वच्छ रखना, घड़ियालों की विशेषता है। इसी वजह से इस जलीयजीव की मांग देश के कई राज्यों से आती है। प्रदेश-देश की कई नदियों की शान चंबल के घड़ियाल पहले से बढ़ा रहे हैं। बतादें कि घड़ियाल से ईको सिस्टम मजबूत जलीय जीव नदियों का ईको सिस्टम मजबूत करते हैं। इसमें घड़ियाल की भूमिका अहम है।

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मांसाहरी मछलियां शाकाहारी मछलियों को खा लेती हैं, लेकिन मांसाहरी मछलियों का पानी में संतुलन बनाने का सबसे बेहतर कार्य घड़ियाल ही करते हैं। क्योंकि यह सिर्फ मछलियां ही खाते हैं। वहीं अब घड़ियालों की निगरानी को लेकर पंजाब फारेस्ट डिपार्टमेंट के द्वारा घड़ियालों पर सैटेलाइट रिकार्डर लगाए जाने की तैयारी की जा रही है। नदियों के किनारे हेचिंग एरिया को विकसित किए जाने की तैयार भी की जा रही है।

पंजाब में घड़ियालों का किया जाने लगा था शिकार

पंजाब को कभी घड़ियालों का संसार कहा जाता था। वर्ल्ड वाइड फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) फार नेचर के पास एक डाक्यूमेंट मिला। 1914 में पब्लिश इस डॉक्यूमेंट में यह बात सर्कुलेट की गई थी कि घड़ियाल नदियों में मछलियों को खत्म कर देगा और किनारे रह रहे लोगों को नुकसान पहुंचाएगा। इसके बाद लोगों ने इनका शिकार करना शुरू कर दिया। नदियों पर बांध बनाने का काम भी तेज हो गया।

इसके लिए पानी को डायवर्ट किया आने लगा, पानी कम होने से भी घड़ियाल खत्म हो गए। 1960-70 के बाद से पंजाब की नदियों से घड़ियाल गायब हो गए। वर्ल्ड वाइड फंड की सीनियर कोऑर्डिनेटर गीतांजली कनवर ने बताया कि 2017 से हम मप्र की चंबल नदी से घड़ियाल लेकर आ रहे हैं। हमने अमृतसर व होशियारपुर के बीच का हिस्सा चुना, क्योंकि यह अनडिस्टर्व एरिया है और घड़ियाल के बचाव के लिए बफर जोन भी अच्छा है।

इस तरह से पंजाब भेज गए घड़ियाल

 23 नवंबर 2017 को पंजाब को देवरी घड़ियाल सेंटर से 25 घड़ियाल भेजे गए थे।

 9 मार्च 2018 को दूसरी बार 25 घड़ियाल सतलुज नदी के लिए पंजाब को भेजे गए।

 19 मार्च 2020 को पंजाब की व्यास नदी के लिए 25 घड़ियाल देवरी सेंटर से भेजे गए।

 11 नवंबर 2021 को पंजाब सरकार ने 50 घड़ियाल की मांग की थी, जिसमें से देवरी सेंटर से 25 घड़ियाल भेजे गए थे।

पंजाब सरकार की मांग पर देवरी घड़ियाल सेंटर से अलग-अलग चरणों में घड़ियाल भेजे गए हैं। कुछ दिन पहले हुए सर्वे के अनुसार चंबल नदी में घड़ियालों की संख्या करीब 2456 है। – भूरा रायकवाड़, एसडीओ, चंबल घड़ियाल सेंक्चुरी।

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