महिलाओं का स्वास्थ्य या कोविड काल, घर-घर दवा पहुंचाते; अफसर नहीं सुनते, इसलिए आंदोलन को मजबूर
रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पिछले 18 दिनों से प्रदेशभर की मितानिन धरना दे रही है। रहने की जगह नहीं है। धरना स्थल पर ही इनकी रात बीतती है। मच्छर गंदगी और बदबू की बीच सोने को यह महिलाएं मजबूर है। छत्तीसगढ़ के दूरदराज के अंचलों से आई इन मितानिनों को रात के वक्त सुरक्षा भी नहीं मिलती।
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले नारायणपुर से आई महिलाओं ने कहा कि हम मुश्किल हालात में लोगों के भले के लिए, योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए काम करती हैं। मगर हमारे मानदेय, पीएफ और कामकाज से आने वाली दिक्कतों पर अफसरों का ध्यान नहीं जाता।
अफसर तो गद्दे पर सोते हैं
नारायणपुर से ही आई मितानिन अर्चना चंदेल ने बताया कि चाहे गांव में महिलाओं के स्वास्थ्य की बात हो या कोविड काल में घर घर दवा पहुंचाना हमने सब किया। कई बार लोगों की गालियां भी सुननी पड़ती है। हम यहां धरना स्थल पर उबड़ खाबड़ सतह पर प्लास्टिक डालकर जैसे तैसे सो रही हैं । गंदगी है, मच्छर है, मगर अफसर हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दे रहे। वे तो आराम से गद्दे पर रात बिताते हैं और यहां हम इस तरह खुले में सोने को मजबूर है। हमने कलेक्टर, और दूसरे अधिकारियों को भी अपनी मांगों से अवगत कराया, मगर हमारी सुनवाई नहीं हुई। इस वजह से हम यह आंदोलन करने को मजबूर हुए हैं।
इन मांगों के लिए जंग
- मितानिन संघ का मांग है कि उनको दिए जाने वाले राज्य अंश 75 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी किया जाए।
- चुनाव पूर्व जन घोषणा पत्र में मितानिन टीम को प्रोत्साहन राशि के अतिरिक्त राशि प्रति माह पांच हजार रुपए दिया जाए।
- मितानिन को उनके निर्धारित कार्य, जिसमें राशि मिलती है, उसके अतिरिक्त अन्य सभी कार्य करती है, उसमें भी राशि दी जाए।
- मितानिन, मितानिन प्रशिक्षक, ब्लाक समन्वयक, स्वस्थ्य पंचायत समन्वयक, एरिया कॉर्डिनेटर, हेल्प डेस्क फेसिलेटर का मासिक भविष्यनिधि राशि जमा की जाए।
- मितानिन की मृत्यु हो जाती है या काम करने में असमर्थ हो तो नया चयन में परिवार वालों को प्राथमिकता दिया जाए।
- बीसीएसपी एसएमटी और मितानिन की शिकायत संबंधी जांच एवं निराकरण बीएमओ द्वारा गाइडलाइन के अनुसार हो।