Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री की पूजा कर सुहागिनों ने मांगा अखंड सौभाग्य का वरदान, वट वृक्ष को बचाने लिया संकल्प
साजो श्रंगार कर पहुंची महिलाएं वट वृक्ष पर रक्षा सूत्र बांधकर अखंड सौभाग्य की कामना की। देवी मंदिरों में तांता लगा रहा। रतनपुर स्थित मां महामाया मंदिर में तो भारी भीड़ उमड़ी।
HIGHLIGHTS
- संस्कारधानी की महिलाओं में दिखा उत्साह।
- सोलह श्रृंगार कर वट वृक्ष की परिक्रमा की।
- वट वृक्ष को बचाने लिया संकल्प
मान्यता है कि इससे दामपत्य जीवन सुखमय और घर में सुख शांति का वास होता है। संस्कारधानी में वट सावित्री पर्व को लेकर सुहागिनों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। भक्तिमय माहौल के बीच शहर के अलग-अलग स्थानों और मंदिरों में पूजा अर्चना की गई। रेलवे कालोनी के श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, सरकंडा, मंगला, तिफरा सहित सभी प्रमुख जगहों में जहां वट वृक्ष थे वहां सुहागिनों ने पूजा की। सुबह से ही नगर के वट वृक्षों की पूजा करने बड़ी संख्या में महिलाएं उमड़ी हैं।
साजो श्रंगार कर पहुंची महिलाएं वट वृक्ष पर रक्षा सूत्र बांधकर अखंड सौभाग्य की कामना की। देवी मंदिरों में तांता लगा रहा। रतनपुर स्थित मां महामाया मंदिर में तो भारी भीड़ उमड़ी। वट वृक्षों के समीप व्रत की कथा भी पुरोहितों सुना रहे थे।
मौली-धागा बांधकर की परिक्रमा
सुहागिनों ने व्रत रखने के साथ वट वृक्ष के नीचे विधि-विधान से प्रसाद के रूप में थाली में गुड़, भीगे हुए चने, आटे से बनी हुई मिठाई, कुमकुम, रोली, मोली, पांच प्रकार के फल, पान का पत्ता, धूप, घी का दीया, एक लोटे में जल और एक हाथ का पंखा लेकर पूजा करती नजर आईं। मौली धागा को वट वृक्ष पर लपेटते हुए परिक्रमा की। वृक्ष की जड़ में पानी चढ़ाया गया। प्रसाद चढ़ाकर और धूप तथा दीप जलाया गया।
वट वृक्ष को बचाने लिया संकल्प
वट सावित्री पर एक ओर जहां सुगहागिनों ने सत्यवान सावित्री की कथा सुनकर पति की लंबी आयु की कामना की तो वहीं पर्यावरण संरक्षण के लिए वट वृक्ष को बचाने संकल्प भी लिया। कहा कि बदलते समय के साथ पेड़-पौधों की सुरक्षा बहुत आवश्यक है। जीवनदायिनी पेड़ों से ही हमारा अस्तित्व है। पर्यावरण का संरक्षण किसी एक की न होकर हम सबकी जिम्मेदारी है।