अंबिकापुर को मिलने वाली है एक बड़ी सौगात, एनएच 43 का बहुप्रतीक्षित फ्लाई ओवर जून में हो जाएगा शुरू"/>

अंबिकापुर को मिलने वाली है एक बड़ी सौगात, एनएच 43 का बहुप्रतीक्षित फ्लाई ओवर जून में हो जाएगा शुरू

बहुत बेसब्री से लोग इसके शुरू होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। काफी प्रतीक्षा के बाद अब वह समय आ गया है जब इस फ्लाईओवर को आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा। इसके साथ ही लुचकी घाट का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा।

HIGHLIGHTS

  1. फ्लाई ओवर का काम अंतिम चरण में, सुरक्षा के किए जा रहे हैं इंतजाम
  2. खत्म हो जाएगा दशकों पुराने खतरनाक लुचकी घाट का अस्तित्व
  3. उच्च तकनीकी दक्षता से युक्त है फ्लाई ओवर
अंबिकापुर। राष्ट्रीय राजमार्ग 43 पर अंबिकापुर के प्रवेश द्वार पर पिछले दो साल से बन रहे फ्लाई ओवर का संचालन जून के महीने से शुरू हो जाएगा। इस बात की पुष्टि निर्माण में संलग्न कंपनी ने दी है। बताया जा रहा है कि फ्लाई ओवर के निर्माण का अंतिम चरण चल रहा है। सुरक्षा के इंतजाम किया जा रहे हैं। इसी के साथ दशकों पुराने खतरनाक लुचकी घाट का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। सुकून की बात यह है कि रोजाना लगने वाले जाम और दुर्घटनाओं से मुक्ति मिलेगी और एक सौगात राष्ट्रीय राजमार्ग 43 पर फ्लाईओवर के रूप में जनता को मिल सकेगी।
 

naidunia_image

गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 43 का निर्माण लगभग पूरा होने को है। पिछले सात साल से निर्माण चल रहा है।अंबिकापुर से रायगढ़ की ओर निकलने वाले रास्ते पर अंबिकापुर के प्रवेश द्वार पर ही एक फ्लाई ओवर का निर्माण लुचकी घाट के करीब पिछले दो वर्षों से चल रहा था।

 

naidunia_image
 
बहुत बेसब्री से लोग इसके शुरू होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। काफी प्रतीक्षा के बाद अब वह समय आ गया है जब इस फ्लाईओवर को आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा। इसके साथ ही लुचकी घाट का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा। आजादी के पहले से ही यह घाट रायगढ़ रोड पर एक प्रसिद्ध स्थल के रूप में जाना जाता है। फ्लाई ओवर के शुरू होने के साथ ही लगभग 15 मिनट का समय रोजाना आने जाने वालों लोगों का बच सकेगा।राष्ट्रीय राजमार्ग 43 पर यात्रा में लगने वाला समय अब काफी कम हो जाएगा,नहीं तो लुचकी घाट और आसपास की जर्जर सड़कों को पार करने में ही दरिमा चौक के बाद लगभग 15 मिनट का समय इन दिनों भी लग रहा था।

 

उच्च तकनीकी दक्षता से युक्त है फ्लाई ओवर
राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कर रही टीबीसीएल कंपनी ने ही फ्लाई ओवर का निर्माण दो सालों में पूरा किया है।270 मीटर लंबे,आठ स्लैब और दस पियर वाले इस फ्लाईओवर को अगले कई वर्षों के लिए तकनीकी रूप से दक्ष और मजबूत बताया जा रहा है। फरवरी के महीने में ही तकनीकी रूप से इसे अप्रूवल दे दिया गया था ।कई सब कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से इसका निर्माण पूरा किया गया है।वर्तमान में क्रॉस बेरीकेटिंग का कार्य कराया जा रहा है।
इसके साथ ही एक हफ्ते के अंदर डामरीकरण का कार्य पूरा कर दिया जाएगा जिससे पुल के ऊपर लेबल मेंटेन का काम हो जाएगा और गाड़ियों की आवाजाही में किसी प्रकार की समस्या नहीं रहेगी। दोनों ओर से अप्रोच सड़क लगभग बना दी गई है। डीलाक्स पब्लिक स्कूल से लेकर पुल तक और दूसरी तरफ पेट्रोल पंप से लेकर काली मंदिर तक सड़क पूरी तरह से बना दी गई है।आनन-फानन में काफी तेज गति से सड़क बनाने का काम किया गया है ,ताकि पुल को जून के महीने में बरसात आने से पहले शुरू किया जा सके और लोगों को बरसात में जाम से मुक्ति मिल सके।
खत्म हो जाएगा लुचकी घाट का अस्तित्व
लुचकी घाट दशकों पुराना है। इसके नाम के संदर्भ में भी ऊहापोह की स्थिति है। बताया जाता है कि करजी क्षेत्र की ओर स्थित लुचकी ग्राम से ही इसका नाम पड़ा है। अपने नाम के साथ ही यह स्थल काफी प्रसिद्ध है। दूर दराज के लोग अंबिकापुर के पास के लुचकी घाट को जानते हैं ।आजादी के बाद से जब लोक निर्माण विभाग की एक अत्यंत सकरी सड़क हुआ करती थी, तब से ही यह घाट बहुत प्रसिद्ध था।
लुचकी घाट आने का मतलब लोग यह समझते थे कि अंबिकापुर पहुंच गए और उसके बाद से ही खूबसूरत अंबिकापुर की खुशबू लोगों को आने लगती थी और लोग उत्साह से भर जाते थे।समय के साथ सड़क चौड़ीकरण का कार्य हुआ और घने जंगलों के बीच यह घाट वर्ष दर वर्ष प्रसिद्ध होता चला गया।वर्तमान में यहां पर एक कली मंदिर है, जहां लोग दर्शनों के लिए आना चाहते हैं ,लेकिन जर्जर सड़क और घाट में लगातार हो रही दुर्घटनाओं की वजह से लोगों की आवाजाही कम रहती है। सड़क बनने और फ्लाई ओवर के शुरू होने से मंदिर आने जाने वाले लोगों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो सकती है। एक तरफ जहां फ्लाई ओवर बनने से आवागमन में सुविधा होगी वहीं लोगों की भावनाओं से जुड़ा लुचकी घाट अपने अस्तित्व के अंतिम चरण में है।
 
सैकड़ो दुर्घटनाओं का गवाह है लुचकी घाट
 
लुचकी घाट का ” यू आकृति” का घुमावदार मोड़ सैकड़ो दुर्घटनाओं का गवाह है।बरसात के दिनों में यहां पर जाम लगने की समस्याएं आम है। ओवरलोड ट्रक और ट्रेलर जैसे ही घाट के घुमावदार मोड़ पर पहुंचते थे।वाहन का संतुलन बिगड़ जाता था और कई गंभीर दुर्घटनाएं हो जाती थी।यहां पर कई सवारी गाड़ियां, बस ,कार आदि दुर्घटनाओं का शिकार हो चुकी है। रात के अंधेरे में भी दुर्घटनाएं हो जाया करती थी। कई बार इसे बनाने की कोशिश की गई।बड़े जनप्रतिनिधियों के आने पर डामरीकरण का लीपा-पोती का कार्य भी कराया जाता था लेकिन दुर्घटनाओं में कमी नहीं आ पाती थी ।सुकून की बात यह है कि अब बड़ा हवाई पुल बन चुका है ।इसके शुरू होते ही दुर्घटनाओं में कमी आएगी और लोगों की जान बच जाएगी।
 
पुल के ऊपर लाइटिंग की व्यवस्था नहीं
 
राष्ट्रीय राजमार्ग के मानकों के अनुरूप फ्लाई ओवर में ऊपर के हिस्से में तमाम सुविधाएं दी जाती हैं ,जिसमें रोड साइड पर लाइट की भी व्यवस्था दी जाती है।लेकिन एन एच विभाग ने पूछे जाने पर जानकारी दी है कि इस फ्लाईओवर पर लाइटिंग की व्यवस्था नहीं है।ड्राइंग और डिजाइन में ही यह व्यवस्था नहीं दी गई है।ऐसे में फ्लाई ओवर की खूबसूरती पर प्रश्न चिन्ह लगा सकता है।
 
काफी परिश्रम से बनी है एप्रोच सड़क
 
लुचकी घाट के इस फ्लाईओवर का इंतजार आम जनता को जहां बेसब्री से करना पड़ रहा था, वही दोनों ओर की एप्रोच रोड और फ्लाई ओवर बनाने में कंपनी को काफी परिश्रम करना पड़ा है।पहाड़ी क्षेत्र में अप्रोच रोड बनाने के लिए बड़े-बड़े पत्थरों को काटना पड़ा ।उसमें कई महीनो का समय लग गया ।इससे पहले जब सामान्य सड़क हुआ करती थी तो बरसात के दिनों में पहाड़ों से पत्थर गिरने की भी कई घटनाएं यहां पर हो चुकी है और लोगों की जान जोखिम में पड़ जाती थी ।पत्थर काटने का काम ब्लास्टिंग के माध्यम से भी करना पड़ा ,लेकिन फिलहाल अंतिम रूप से परिणाम काफी सुखद है ।जून के 15 तारीख के आसपास फ्लाईओवर के शुरू होने की पूरी उम्मीद है।
 
जून के महीने में फ्लाईओवर को शुरू करने की पूरी संभावना है ।डामरीकरण का कार्य भी अंतिम चरण पर है।एप्रोच सड़क लगभग बना दी गई है।काम अब कम ही बचा है।

 

नितेश तिवारी प्रभारी कार्यपालन, अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग
 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button