Sankashti Chaturthi 2024 : एकदंत संकष्टी चतुर्थी 26 मई को, ये शुभ योग दूर करेंगे भक्तों के कष्ट
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर सबसे पहले साध्य योग निर्मित होगा। यह शुभ योग सुबह 08.31 बजे तक रहेगा
HIGHLIGHTS
- ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई को शाम 06.06 बजे से प्रारंभ होगी।
- इस तिथि का समापन 27 मई को शाम 04.53 बजे होगा।
- रात में चंद्रदेव के दर्शन जरूर करना चाहिए।
धर्म डेस्क, इंदौर। सनातन धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय माना जाता है और भगवान गणेश की पूजा के लिए हर माह संकष्टी चतुर्थी पर विशेष पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है और इस साल एकदंत संकष्टी चतुर्थी 26 मई को मनाई जाएगी। Ekadanta Sankashti Chaturthi व्रत पर देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और विधि-विधान से व्रत करने पर शुभ कार्यों में सिद्धि मिलती है।
एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर शुभ मुहूर्त
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई को शाम 06.06 बजे से प्रारंभ होगी और इस तिथि का समापन 27 मई को शाम 04.53 बजे होगा। इस तिथि पर रात में चंद्रदेव के दर्शन जरूर करना चाहिए। उदया तिथि के अनुसार, एकदंत संकष्टी चतुर्थी 26 मई को भी मनाना उचित होगा।
-
- शुभ योग- ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर सबसे पहले साध्य योग निर्मित होगा। यह शुभ योग सुबह 08.31 बजे तक रहेगा। इस शुभ योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सभी रुके हुए कार्य पूरे हो जाते हैं।
-
- भद्रा योग – एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर भद्रा पाताल में रहेगी। पौराणिक व ज्योतिष मान्यता है कि जब भद्रा पाताल में रहती है तो उस दौरान पृथ्वीवासियों का कल्याण होता है। भद्रा योग 26 मई को शाम 06.06 बजे तक रहेगा। इस दौरान भी भगवान श्री गणेश की आराधना करना चाहिए।
-
- शिव वास– ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर शिव वास भी बनेगा। यह शुभ योग प्रदोष काल में निर्मित होगा। इस दौरान भगवान गणेश की पूजा करने से सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’