CG New Education Policy: छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी, कुडुख बोली में होगी स्कूली बच्चों की पढ़ाई, स्थानीय भाषाओं को मिलेगा नया मंच
बताया जा रहा है कि पहले चरण में छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी, सादरी, गोंडी और कुडुख में कोर्स तैयार होंगे। इसके लिए प्रदेशभर के साहित्यकारों, लोक कलाकारों, लोक गीतकार, लोक संगीतकारों, लोक नर्तकों, कहानी, गीत, नाटकों के प्रस्तुतकर्ता और संकलनकर्ताओं की मदद ली जाएगी।
HIGHLIGHTS
- साहित्यकारों और लोक कलाकारों की ली जाएगी मदद
रायपुर। राज्य के स्कूली बच्चे अब अपने इलाके की स्थानीय भाषा और बोली में पढ़ाई करेंगे। प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ध्यान में रख कर इसकी तैयारी की जा रही है। पहली से पांचवीं तक छह स्थानीय बोलियों में पाठ्य पुस्तकें राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की ओर से कोर्स तैयार किया जाएगा।
बताया जा रहा है कि पहले चरण में छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी, सादरी, गोंडी और कुडुख में कोर्स तैयार होंगे। इसके लिए प्रदेशभर के साहित्यकारों, लोक कलाकारों, लोक गीतकार, लोक संगीतकारों, लोक नर्तकों, कहानी, गीत, नाटकों के प्रस्तुतकर्ता और संकलनकर्ताओं की मदद ली जाएगी।
इसके अलावा वरिष्ठ नागरिक और शिक्षकों से भी सहयोग लिया जाएगा। डाइट ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का संदर्भ देते हुए कहा कि पहली से पांचवीं कक्षा तक विद्यार्थियों के लिए उनकी घर की भाषा, मातृभाषा, स्थानीय भाषा, क्षेत्रीय भाषा का माध्यम होना चाहिए।
हालांकि अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह कोर्स इसी सत्र से लागू होगी या बाद में। वहीं प्राथमिक तक ही सभी विषयों की पढ़ाई छत्तीसगढ़ी में होगी या केवल एक विषय पढ़ाया जाएगा।
इसको लेकर भी अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। स्थानीय बोलियों में पढ़ाई करवाने की पहल अच्छी : मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी मंच के प्रांतीय संयोजक नंदकिशोर शुक्ल ने कहा कि स्कूलों में स्थानीय बोलियों में पढ़ाई करवाने की पहल अच्छी है।
इसके लिए हम लोग जरूर सहयोग करेंग
हमारी मांग है कि गणित, पर्यावरण आदि विषयों की पढ़ाई-लिखाई छत्तीसगढ़ी में हो। इसके लिए शिक्षा विभाग को आदेश भी जारी करना चाहिए। क्योंकि अभी जो आदेश जारी किया है वह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।