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Astro Tips: इस तरह के अन्न का न करें सेवन, वरना घर में कभी नहीं रहेगी बरकत

HIGHLIGHTS

  1. अनादरपूर्वक प्राप्त अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।
  2. जिसे मैले वस्त्र धारण करने वाले व्यक्ति ने दिया हो, ऐसे अन्न का त्याग कर देना चाहिए।
  3. इच्छापूर्वक पैर से छुए अन्न को कभी न खाएं।

धर्म डेस्क, इंदौर। Grain Astro Tips: सनातन धर्म में जीवन से जुड़े कई नियमों और परंपराओं के बारे में बताया गया है। आज भी ऐसे कई लोग हैं, जो इन नियमों और परंपराओं का पालन करते हैं। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक हम दिनचर्या को लेकर कई तरह के नियम बताए गए हैं। अगर इन नियमों का पालन किया जाए, तो हमेशा घर में धन-धान्य भरा रहता है। ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में अन्न को लेकर भी कुछ बातें बताई हैं। आइए, जानते हैं कि वे नियम कौन-से हैं।

इस तरह के अन्न का न करें सेवन

  • केश और कीड़ों से युक्त, जिस अन्न के प्रति दूषित भावना हो, कुत्ते द्वारा सूँघा हुआ, दोबारा पकाया गया, गौ द्वारा सूँघा हुआ, अनादरपूर्वक प्राप्त अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।
    • जिसे कौए अथवा मुर्गे ने स्पर्श कर लिया हो, जिसे रजस्वला, व्यभिचारिणी स्त्री ने दिया हो और जिसे मैले वस्त्र धारण करने वाले व्यक्ति ने दिया हो, ऐसे अन्न का त्याग कर देना चाहिए।
    • मतवाले, क्रुद्ध और रोगी के अन्न को तथा इच्छापूर्वक पैर से छुए अन्न को कभी न खाएं।
    • गर्भ हत्या करने वाले को देखने वाले, रजस्वला स्त्री द्वारा छुए हुए, पक्षी द्वारा खाए हुए और कुत्ते से छुए हुए अन्न को नहीं खाना चाहिए।
    • बाएं हाथ से लाया गया या फिर बांए हाथ से परोसा गया अन्न, बासी चावल, शराब मिला हुआ भोजन, जूठा और घरवालों को न देकर अपने लिए बचाया हुआ अन्न खाने योग्य नहीं माना जाता है।
    • उग्र स्वभाव वाले मनुष्य का, श्राद्ध, सूतक, दुष्ट पुरुष का और शूद्र का अन्न कभी नहीं खाना चाहिए।
    • क्रोधी और दुख से आतुर मनुष्य का अन्न कभी नहीं करना चाहिए।
    • जिसको किसी ने लांघ दिया हो, जो लड़ाई-झगड़ा करते हुए तैयार किया गया हो, जिस पर रजस्वला स्त्री की दृष्टि पड़ गयी हो, जिसमें केश या कीड़े पड़ गए हों तथा जो रोकर और तिरस्कार पूर्वक दिया गया हो, वह अन्न राक्षसों का भाग होता है।
    • जिस भोजन को मुंह से फूंककर ठंडा किया गया हो, वह खाने योग्य नहीं होता।

    डिसक्लेमर

    ‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

     
     

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