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Basant Panchami 2024: देवी सरस्वती को प्रसन्न करना है तो राशि के अनुसार करें इन मंत्रों का जाप

HIGHLIGHTS

  1. हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 13 फरवरी को दोपहर 02.41 बजे शुरू होगी।
  2. इस तिथि का समापन 14 फरवरी को दोपहर 12.09 बजे होगा।
  3. ऐसे में उदया तिथि के कारण देवी सरस्वती की आराधना 14 जनवरी को ही करना उचित है।

धर्म डेस्क, इंदौर। हिंदू धर्म में हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार उत्साह के साथ मनाया जाता है। इन दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। यदि आप ज्ञान के क्षेत्र में काम करते हैं तो बसंत पंचमी के अवसर पर देवी सरस्वती की आराधना जरूर करना चाहिए। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, बसंत पंचमी पर अपनी राशि के अनुसार इन मंत्रों का जाप करें।

  • मेष राशि – ॐ वाग्देवी वागेश्वरी नम:
    • मिथुन राशि – ॐ माँ भुवनेश्वरी सरस्वत्यै नमः:
    • कर्क राशि – ॐ माँ चन्द्रिका देव्यै नम:
    • सिंह राशि – ॐ मां कमलहास विकासिनी नम:
    • कन्या राशि – ॐ मां प्रणवनाद विकासिनी नम:
    • तुला राशि – ॐ मां हंस वाहिनी नम:
    • वृश्चिक राशि – ॐ शारदै देव्यै चंद्रकांति नम:
    • धनु राशि – ॐ जगती वीणावादिनी नम:
    • मकर राशि – ॐ बुद्धिदात्री सुधा मूर्ति नमःवृषभ राशि -ओम कौमुदी ज्ञानदायिनी नम:
    • कुंभ राशि – ॐ ज्ञानप्रकाशिनी ब्रह्मचारिणी नम:
    • मीन राशि – ॐ वरदायिनी मां भारती नम:

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    बसंत पंचमी पर पूजा मुहूर्त

    हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 13 फरवरी को दोपहर 02.41 बजे शुरू होगी और इस तिथि का समापन 14 फरवरी को दोपहर 12.09 बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि के कारण देवी सरस्वती की आराधना 14 जनवरी को ही करना उचित है। 14 फरवरी को पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7.01 बजे से दोपहर 12.35 मिनट तक रहेगा।

    डिसक्लेमर

    ‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

     

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