75th Republic Day: छत्तीसगढ़ में यहां 40 वर्ष बाद लहराया तिरंगा, सेना ने उतार फेंके काले झंडे
75th Republic Day: नक्सलियों के सबसे सुरक्षित गढ़ में सुरक्षा बल ने बीते एक माह में 10 कैंप स्थापित किया है। नक्सलियों के काले झंडे उतार फेंके हैं। 40 वर्षों के बाद सुरक्षा बल के साथ मिलकर 26 जनवरी को गणतंत्र का ध्वज (तिरंगा) फहराया गया।
75th Republic Day: छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवाद की अंधेरी दुनिया में गणतंत्र का सूर्योदय हुआ। यहां नक्सलियों के सबसे सुरक्षित गढ़ में सुरक्षा बल ने बीते एक माह में 10 कैंप स्थापित किया है। नक्सलियों के काले झंडे उतार फेंके हैं। सुरक्षा का आभास होने के बाद क्षेत्र के ग्रामीण लगभग 40 वर्षों के बाद सुरक्षा बल के साथ मिलकर 26 जनवरी को गणतंत्र का ध्वज (तिरंगा) फहराया।
सुरक्षा बल के रिकार्ड में सुकमा जिला का दुलेड़ ग्राम कुख्यात नक्सली हिड़मा का गढ़ रहा है, जो कि नक्सलियों के सबसे खतरनाक लड़ाकू बटालियन का कमांडर है। उसके सुरक्षा घेरे में नक्सल संगठन का शीर्ष नेतृत्व, केंद्रीय समिति सदस्य चंदन्ना, आंध्र प्रदेश-ओडिशा सीमा स्पेशल जोनल कमेटी सचिव गजराला रवि, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य सुजाता, दक्षिण बस्तर जोनल कमेटी सचिव विकास जैसे बड़े नक्सली नेता यहां सुरक्षित थे। इस क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए पिछले एक माह में सुरक्षा बल ने पड़िया, मूलेर, सालातोंग के बाद मुर्काबेड़ा और फिर दुलेड़ में सुरक्षा कैंपों की शृंखला खड़ी करते हुए नक्सलियों के गढ़ में पैठ बनाई है।
नक्सल फैक्ट्री में गर्व से लहराया तिरंगा
नक्सल संगठन दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का दूसरा सबसे ताकतवर क्षेत्र बीजापुर जिले का गंगालूर है। यहां पश्चिम बस्तर डिविजन कमेटी के नक्सली नेता पापाराव सहित नक्सलियों की दूसरी लड़ाकू बटालियन सक्रिय है, जिसका कमांडर वेल्ला है। नक्सल संगठन ने इसी क्षेत्र से सबसे अधिक नक्सलियों की भर्ती की है। यहां डुमरीपालनार, पालनार, चिंतावागु के बाद अब मुतवेंडी व कावड़गांव में पिछले एक माह में सुरक्षा बल के कैंप स्थापित कर नक्सलतंत्र पर प्रहार किया है। क्षेत्र को सुरक्षित करने के बाद यहां सुरक्षा बल व ग्रामीण मिलकर गणतंत्र पर्व मनाने की तैयारी कर रहे हैं।