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Magh Ekadashi 2024 Date: माघ माह में इस दिन पड़ रही है षटतिला एकादशी और जया एकादशी, जानें सही तिथि

HIGHLIGHTS

  1. माघ माह में षटतिला एकादशी और जया एकादशी का व्रत पड़ता है।
  2. शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है।
  3. एकादशी के दिन विष्णु चालीसा का पाठ करें और आरती करें।

धर्म डेस्क, इंदौर। Magh Ekadashi 2024 Date: एकादशी की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। माह में दो बार एकादशी आती है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। इस दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखा जाता है। एकादशी व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और अगले दिन द्वादशी तिथि को समाप्त होता है। पौष माह के बाद 26 जनवरी से माघ माह शुरू हो जाएगा। इस माह में षटतिला एकादशी और जया एकादशी का व्रत पड़ता है। आइए, जानते हैं कि ये दोनों एकादशी किस दिन पड़ रही हैं।

षटतिला एकादशी सही तिथि और शुभ मुहूर्त

माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है। पंचांग के अनुसार, षटतिला एकादशी की तिथि 5 फरवरी को शाम 5.24 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 6 फरवरी को शाम 4.07 बजे समाप्त होगी। इस बार षटतिला एकादशी का व्रत 6 फरवरी को पड़ रहा है।

जया एकादशी सही तिथि और शुभ मुहूर्त

माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है। पंचांग के अनुसार, जया एकादशी की तिथि 19 फरवरी को सुबह 08:49 बजे शुरू होगी और अगले दिन 20 फरवरी को सुबह 09:55 बजे समाप्त होगी। 20 फरवरी को भगवान विष्णु का व्रत और पूजन कर सकते हैं।

एकादशी पूजा विधि

    • एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
    • इसके बाद मंदिर को साफ करें और गंगा जल छिड़ककर पवित्र करें।
    • अब एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें.
    • पीले चंदन, हल्दी और कुमकुम से तिलक लगाएं और दीपक जलाकर भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें।
    • इसके बाद विष्णु चालीसा का पाठ करें और आरती करें।
    • खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल भी शामिल करें।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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