Shivling Jal Arpan: शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं, जानें क्या कहते हैं पौराणिक ग्रंथ
Shivling Jal Arpan। सावन माह में भगवान भोलेनाथ की विशेष आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि सावन माह में भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं और इस दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं। इस कारण चार्तुमास के दौरान सावन माह में भगवान भोलेनाथ की विशेष तौर पर पूजा की जाती है। सावन मास में पूजा के दौरान कुछ विशेष सावधानी रखना बेहद जरूरी है। यहां पंडित चंद्रशेखर मलतारे से जानें भगवान शिव पर जल अर्पित करने संबंधी सही नियम –
तो नहीं मिलता पूजा का फल
पौराणिक मान्यता है कि पूजा के दौरान यदि कोई भी भूल-चूक हो जाती है तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। सावन मास में देवों के देव महादेव की पूजा करने से मनोकामनाओं की पूर्ति के द्वार खुल जाते हैं।
गलत दिशा में न चढ़ाएं जल
शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए कभी भी गलत दिशा में खड़े नहीं होना चाहिए। दक्षिण और पूर्व दिशा की ओर मुख करके शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। शिव भक्तों को हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही शिवलिंग पर जल अर्पण करना चाहिए। पौराणिक मान्यता है कि उत्तर दिशा भगवान भोलेनाथ का बायां अंग है, जहां माता पार्वती विराजमान हैं।
शिवलिंग पर खड़े होकर न करें जल अर्पण
शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं आराम से बैठकर मंत्रोच्चार के साथ जल अर्पित करना चाहिए। यदि आप खड़े होकर जल अर्पित करते हैं तो इसका फल प्राप्त नहीं होता है।
तांबे के पात्र से करें जल अर्पण
शिवलिंग पर हमेशा तांबे के पात्र से ही जल अर्पित करना चाहिए। कभी भी ऐसे बर्तनों से शिवलिंग पर जल अर्पित न करें, जिसमें लोहे का इस्तेमाल किया जाता है। तांबे के पात्र को सबसे अधिक शुभ माना जाता है।
शंख से कभी न चढ़ाएं जल
शिवलिंग पर शंख से कभी भी जल अर्पित नहीं करना चाहिए। शिव पूजन में हमेशा शंख को वर्जित माना गया है क्योंकि पौराणिक कथा के अनुसार शिव जी ने एक बार शंखचूड़ राक्षस का वध किया था और शंख उसी राक्षस की हड्डियों से बना होता है। इसके अलावा शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जलधारा टूटनी नहीं चाहिए और एक साथ ही जल अर्पित करना चाहिए।
शाम के समय न चढ़ाएं जल
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक शिव पुराण में शिवलिंग आराधना के बारे में विस्तार से जिक्र मिलता है। शिवलिंग पर कभी भी शाम के समय जल अर्पित नहीं करना चाहिए। सुबह 5 बजे से 11 बजे के बीच जल अर्पित करना शुभ होता है। शिव जी का जलाभिषेक करें तो जल में अन्य कोई भी सामग्री न मिलाएं।
डिसक्लेमर
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