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Jagannath Rath Yatra 2024: बेहद खास तरीके से तैयार किए जाते हैं जगन्नाथ यात्रा के रथ, इन बातों का रखा जाता है ध्यान

HIGHLIGHTS

  1. इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई 2024 से शुरू होने जा रही है।
  2. तीन अलग-अलग रथों का निर्माण किया जाता है।
  3. इन रथों का निर्माण अक्षय तृतीया से शुरू होता है।

धर्म डेस्क, इंदौर। Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ यात्रा का हिस्सा बनने के लिए दुनिया भर से लोग यहां आते हैं। इस रथ यात्रा में भाग लेने के लिए लोगों की भारी भीड़ आती है, जिसका दृश्य भी बहुत भव्य होता है। इस त्योहार में मुख्य रूप से तीन देवताओं अर्थात् भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की पूजा की जाती है और यात्रा निकाली जाती है। इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई 2024 से शुरू होने जा रही है।

इस कारण निकाली जाती है रथ यात्रा

 

हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा आयोजित करने के पीछे मान्यता यह है कि भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र कुछ दिनों के लिए बीमार पड़ जाते हैं, जिसके कारण वे 15 दिनों तक अपने शयनकक्ष में आराम करते हैं। इसके बाद आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को वे स्वस्थ होकर अपने विश्राम कक्ष से बाहर आते हैं। जिसकी खुशी में रथ यात्रा निकाली जाती है।

नहीं किया जाता किसी भी धातु का इस्तेमाल

बलराम, श्रीकृष्ण और देवी सुभद्रा के लिए तीन अलग-अलग रथों का निर्माण किया जाता है। इस रथ यात्रा में सबसे आगे बलराम जी का रथ, बीच में बहन सुभद्रा और पीछे भगवान जगन्नाथ जी का रथ होता है। इन रथों का निर्माण अक्षय तृतीया से शुरू होता है। रथ दारु नामक नीम की लकड़ियों से बनाए जाते हैं। यह बेहद पवित्र होती हैं।

रथ की लकड़ी का चयन बसंत पंचमी के दिन ही किया जाता है। इतना ही नहीं, इस रथ को बनाने में किसी कील या कांटों का इस्तेमाल नहीं किया गया। रथ की पवित्रता बनी रहे, इसलिए यह किया जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि किसी भी आध्यात्मिक कार्य में कीलों या कांटों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। रथ में किसी धातु का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

इतनी रखी जाती है रथों की ऊंचाई

 

इसके अलावा रथों की ऊंचाई पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। हर साल बनने वाली ये झांकियां एक समान ऊंचाई की होती हैं। इसमें भगवान जगन्नाथ का रथ 45.6 फीट ऊंचा, बलराम जी का रथ 45 फीट ऊंचा और देवी सुभद्रा का रथ 44.6 फीट ऊंचा होता है।

बलराम जी के रथ का नाम “तालध्वज” है, जो कि लाल और हरे रंग का होता है। जबकि सुभद्रा जी के रथ को “दर्पदलन” या “पद्म रथ” के नाम से जाना जाता है। यह रथ काला या नीला रंग का होता है, इसका रंग भी लाल है। वहीं, भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष या गरुड़ध्वज कहा जाता है, उनके रथ का रंग लाल और पीला होता है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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