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Nautapa 2024: जानें कब से शुरू होगा नौतपा, सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय

नौतपा के दौरान विधि-विधान से सूर्यदेव की उपासना करने से कुंडली में सूर्यदेव की स्थिति मजबूत होती है।

HIGHLIGHTS

  1. नौतपा के दौरान गर्मी से बचाव के लिए राहगीरों को ठंडा पानी पिलाना चाहिए।
  2. इसके अलावा चप्पल, दूध, दही, शरबत आदि का भी दान करना चाहिए।
  3. यदि सामर्थ्य है तो राहगीरों के लिए प्याऊ भी बनवा सकते हैं।

धर्म डेस्क, इंदौर। वैशाख माह की शुरुआत के साथ ही देशभर में गर्मी का प्रकोप बढ़ गया है, जबकि अभी तक नौतपा शुरू भी नहीं हुआ है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ माह में 9 दिन ऐसे होते हैं, जब सूर्यदेव प्रचंड गर्मी बरसाते हैं। इस 9 दिन की अवधि को ही नौतपा कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल नौतपा 25 मई को सुबह 03.16 बजे लगेगा, जब सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। रोहिणी नक्षत्र में सूर्यदेव 08 जून, दोपहर 01.16 तक रहने वाले हैं। इसके बाद सूर्यदेव मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, नौतपा के दौरान सूर्यदेव प्रसन्न करने के लिए ये उपाय करेंगे तो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आएगी।

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रोज सुबह सूर्यदेव को चढ़ाएं जल

नौतपा के दौरान विधि-विधान से सूर्यदेव की उपासना करने से कुंडली में सूर्यदेव की स्थिति मजबूत होती है। रोज सुबह स्नान के बाद तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। ऐसा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। रुके हुए कार्य पूरे होंगे।

शरबत, दूध, दही का करें दान

नौतपा के दौरान गर्मी से बचाव के लिए राहगीरों को ठंडा पानी पिलाना चाहिए। इसके अलावा चप्पल, दूध, दही, शरबत आदि का भी दान करना चाहिए। यदि सामर्थ्य है तो राहगीरों के लिए प्याऊ भी बनवा सकते हैं। इन चीजों के अलावा आप मौसम फलों जैसे खरबूजा, तरबूज, आम और गुड़ या चीनी का भी दान कर सकते हैं।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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