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छत्‍तीसगढ़ में 90 प्रतिशत सूदखोर बिना लाइसेंसी, उनकी रंगदारी से तंग आकर कई लोग मौत को लगा चुके हैं गले

HIGHLIGHTS

  1. हर माह 500 करोड़ रुपये बाजार में खप रहा, 300 से ज्यादा कारोबारी कर रहे काम
  2. सूदखोरों और उनकी रंगदारी से तंग आकर कईयों लगाया मौत को गले
  3. सूदखोरों की फलफूल रही दुकान, 90 प्रतिशत के पास लाइसेंस नहीं

रायपुर। Moneylenders in Chhattisgarh: छत्‍तीसगढ़ के रायपुर में सूदखोरी का मकड़जाल बढ़ता ही जा रहा है। ब्याज पर पैसा देने वाले सूदखोर पैसा वसूलने गुर्गों की मदद से कर्जदारों को धमका रहे हैं। इनसे परेशान लोग प्रापर्टी बेचकर पैसा चुकाते हैं और आखिर में खुदकुशी तक कर लेते हैं, फिर भी सूदखोरों की वसूली खत्म नहीं होती। तेलीबांधा थाना क्षेत्र में युवक की खुदकुशी के बाद सूदखोरी के कारोबार की नईदुनिया ने पड़ताल की।

इस कारोबार से जुड़े लोगों से बातचीत में राजफाश हुआ कि हर महीने ब्याज पर 500 करोड़ रुपये बाजार में खप रहा है। 300 से अधिक कारोबारी यह काम कर रहे हैं। ब्याज पर पैसा देने वालों के लिए साहूकारी लाइसेंस अनिवार्य किया गया है, लेकिन 90 प्रतिशत लोगों के पास लाइसेंस नहीं है। जिम्मेदार अफसर लाइसेंस बनाने की सुध नहीं ले रहे हैं।

शहर में 130 लोगों ने ही लिया लाइसेंस

ब्याज पर पैसा देने वालों को यह काम करने के लिए साहूकारी लाइसेंस लेना जरूरी है। लेकिन इस नियम का पालन कहीं नहीं किया जा रहा। बगैर लाइसेंस के ही हजारों फाइनेंस ब्रोकर, हुंडी कारोबारी रोज करोड़ों रुपये का लेनदेन कर रहे हैं। साहूकारी लायसेंस तहसील से बनता है।

लेकिन इसे बनाने के बाद निगरानी, जांच और कार्रवाई की कोई व्यवस्था नहीं है। शहर में करीब 130 लोगों ने ब्याज पर पैसा देने का लाइसेंस ले रखा है। पिछले पांच सालों में आठ हजार से अधिक लाइसेंस बांटे गए हैं, लेकिन इसके रिकार्ड और सूदखोरों द्वारा दिए गए हिसाब-किताब की आडिट रिपोर्ट लेने की प्रक्रिया सालों से ठप पड़ी हुई है।

कम ब्याज का झांसा

कारोबार करने के लिए कम ब्याज पर पैसे देने का झांसा देकर चंगुल में फंसाने के बाद सूदखोर 10 से 20 प्रतिशत तक ब्याज वसूल रहे हैं। पैसा नहीं देने वालों से पावर के दम पर पैसा वसूले जा रहे हैं। कर्जदारों को इस कदर परेशान किया जाता है कि वे घर से भाग जाते हैं।

ऊंची पहुंच से हाथ डालने से कतराती है पुलिस

तीन महीने के भीतर पुलिस तक दर्जन भर से ज्यादा फाइनेंस ब्रोकर और सूदखोरों के खिलाफ शिकायतें पहुंची हैं। ऊंची पहुंच और रसूखदारों से कनेक्शन होने की वजह से पुलिस भी उन पर सीधे हाथ डालने से कतराती है। ज्यादातर पीड़ित डर की वजह से पुलिस तक नहीं पहुंच रहे हैं, जो हिम्मत जुटाकर पुलिस अफसरों तक पहुंचे भी तो उनकी शिकायतों की जांच की जा रही है।

जुबान पर लेनदेन

हुंडी और ब्याज पर दिए गए पैसों की कोई लिखा-पढ़ी नहीं रहती। लेन-देन जुबान पर होता है। हुंडी कारोबारी कर्ज देने से पहले हस्ताक्षरयुक्त चेक लेते हैं। इस वजह से सूदखोर मनमाने दर पर वसूली करते हैं। शहर में सूदखोरी की आड़ में गुंडागर्दी बढ़ रही है। बाउंसर भेजकर पैसे की वसूली की जा रही है।

केस-01 : सुंदर नगर निवासी ट्रांसपोर्टर उत्तम दुबे ने शरीर पर पेट्रोल डालकर आग लगाकर खुदकुशी कर ली थी। जांच में पता चला कि कोल कारोबारी किशोर सांखला, उसके बेटे विनय समेत श्रेयांस जैन, प्रमोद शुक्ला, सुधीर गौतम और भागवत कौशल ने उत्तम दुबे से तय ब्याज से अधिक ब्याज वसूलने लगे थे। इससे परेशान होकर उसने खुदकुशी की। पुलिस ने मामले में छहों के खिलाफ आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने का केस दर्ज किया।

केस-02 : मारुति रेसीडेंसी अमलीडीह निवासी बिल्डिंग मटेरियरल सुनील रंगलानी ने सूदखोरों से परेशान होकर फिनाइल पी ली थी। कोमल रंगलानी (39) की शिकायत पर पुलिस ने सूदखोर अशोक नेभानी और सुनील गंगवानी के खिलाफ केस दर्ज किया था।

रायपुर अधिवक्ता सुल्तान अहमद ने कहा, साहूकारी लाइसेंस बनता है। ब्याज की दर तय होती है। तय ब्याज से ज्यादा अगर कोई पैसा लेता है ताे उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। इस मामले में इनकम टैक्स की ओर भी कार्रवाई होनी चाहिए। वसूली के लिए अगर गुंडे भेजते हैं तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। सूदखोरी करने वाले ब्लैंक चेक भी अपने पास रखते हैं। इसके बाद चेक बाउंस का भी केस करते हैं।

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