भाजपा सरकार में आबकारी में हुए घोटाले की ईओडब्ल्यू ने शुरू की जांच, नोटिस देकर 10 अफसरों से की घंटों पूछताछ
रायपुर: भाजपा सरकार के कार्यकाल में आबकारी विभाग में हुए घपलेबाजी की जांच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने शुरू की है। ईओडब्ल्यू के नोटिस मिलने पर 10 से ज्यादा आबकारी अधिकारी दफ्तर पहुंचे। उनसे घंटों टीम ने पूछताछ की। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में शराब ठेकेदारों, डिस्टलरी वालों को भी पूछताछ के लिए नोटिस जारी करने की तैयारी है। हालांकि इस संबंध में ईओडब्ल्यू की ओर से किसी भी तरह की अधिकृत जानकारी नहीं दी गई है। अधिकारी भी कुछ भी बताने से इंकार कर रहे हैं।
दरअसल, वर्ष 2013 से 2017 के बीच तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए आबकारी घपले की जांच ईओडब्ल्यू कर रही है। उस दौरान जिलों से लेकर आबकारी मुख्यालय में पदस्थ कई अधिकारियों को नोटिस पिछले दिनों जारी किया गया था। सभी को पूछताछ के लिए बुधवार को सुबह 11 बजे ईओडब्लू-एसीबी के दफ्तर में बुलाया गया था। नोटिस डीईओ, गोदाम इंचार्ज, उपायुक्त और आयुक्त के पद पर कार्यरत अधिकारियों को दिया गया था। इसी कड़ी में सुबह से लेकर शाम ईओडब्लू दफ्तर में दस से अधिक आबकारी अधिकारी पहुंचे थे।
आबकारी घपले के संबंध में ईओडब्लू ने शुरू की पूछताछ
सूत्रों ने बताया कि रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बिलासपुर, बलौदाबाजार, महासमुंद, मुंगेली समेत अन्य जिलों में पूर्व और वर्तमान में पदस्थ अधिकारियों से आबकारी घपले के संबंध में ईओडब्लू की टीम पूछताछ शुरू की है।ईओडब्लू इस आरोप की जांच कर रहा है कि पिछली सरकार के कार्यकाल में आबकारी विभाग के अफसरों ने डिस्टलरी वालों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार किया था।फैक्टरी से शराब सीधे दुकानों में पहुंचाकर बेची गई थी, जबकि नियमानुसार फैक्टरी से शराब सरकारी वेयरहाउस में जानी थी, फिर वहां से मांग के अनुसार दुकानों में भेजी जानी थी।
पूछताछ की वीडियोग्राफी भी
बुधवार को ईओडब्ल्यू की ओर से जारी नोटिस के आधार पर रायपुर और दुर्ग जिले में पदस्थ रहे आबकारी अधिकारी सुबह दफ्तर पहुंचे थे वही अन्य अधिकारियों ने दोपहर में आकर अपना बयान दर्ज कराया।इस दौरान सभी की वीडियोग्राफी भी कराई गई।अधिकारियों से पूछा गया कि किस तरीके से शराब की आपूर्ति और लेन-देन का काम चलता था।इसके अलावा घपलेबाजी के खेल में कौन-कौन शामिल थे।
आबकारी विभाग कर चुका है जांच
ईडी की कार्रवाई के बाद सरकार ने आबकारी विभाग को जांच का निर्देश दिया था, क्योंकि शासन का मानना था कि अफसरों और डिस्टलरी वालों की कथित सांठगांठ से सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है।आबकारी विभाग ने जांच करते हुए आबकारी अधिकारियों को नोटिस देकर पूछताछ के बुलाया था और उनका बयान दर्ज किया था। एक जांच रिपोर्ट भी तैयार की गई है, जिसका राजफास नहीं किया गया है।