छत्‍तीसगढ़ के सरकारी दफ्तरों पर बिजली विभाग का 1438 करोड़ रुपये का बिल बकाया, बकाएदारों में नगरीय निकाय सबसे आगे"/> छत्‍तीसगढ़ के सरकारी दफ्तरों पर बिजली विभाग का 1438 करोड़ रुपये का बिल बकाया, बकाएदारों में नगरीय निकाय सबसे आगे"/>

छत्‍तीसगढ़ के सरकारी दफ्तरों पर बिजली विभाग का 1438 करोड़ रुपये का बिल बकाया, बकाएदारों में नगरीय निकाय सबसे आगे

HIGHLIGHTS

  1. पांच साल से रोककर रखी है बिल की राशि, कंपनी को नुकसान l
  2. बकायेदार विभागों में पहले नंबर पर नगरीय निकायl
  3. दूसरे स्थान पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभागl

सतीश पांडेय/रायपुर। Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के 50 से अधिक सरकारी विभागों पर पावर कंपनी का 1,438 करोड़ का बिजली बिल बकाया है। इन बकाया बिलों के भुगतान के लिए कई बार अभियान भी चलाया गया, लेकिन कार्रवाई की जद में विभाग के बजाए ज्यादातर आम लोग ही आए। बकायेदारों में पहले स्थान पर नगरीय निकाय है।

इस पर सबसे अधिक 764 करोड़ रुपये का बकाया है। दूसरे स्थान पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग है, जिससे 269 करोड़ रुपये का बकाया बिल वसूलना है। वहीं, स्कूल शिक्षा विभाग पर 73.14 करोड़, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी पर 62.52 करोड़, चिकित्सा विभाग पर 57.86 करोड़, गृह विभाग पर 30.90 करोड़ और महिला एवं बाल विकास पर 19.63 करोड़ रुपये समेत अन्य विभागों पर करोड़ों का बकाया है।
 

पावर कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि सभी बकायादारों को समय-समय पर नोटिस भेजकर भुगतान करने के लिए रिमाइंड कराया जाता है। कुछ विभाग ऐसे हैं, जो पिछले पांच साल से बिजली बिल का भुगतान नहीं कर रहे हैं। इससे पावर कंपनी को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रदेश में 14 नगर निगम, 44 नगर पालिका और 112 नगर पंचायत हैं। नगरीय निकायों की कुल संख्या 170 के करीब है। सरकारी विभागों के बकाया बिजली बिल का 55 प्रतिशत यही रोककर रखे हुए हैं।

अधिकारियों के मुताबिक नगरीय निकायों के पास आय के ज्यादा स्रोत नहीं हैं। निकाय की ओर से कई तरह के टैक्स जरूर लगाए जाते हैं, लेकिन इसकी वसूली करने में अधिकारियों के पसीने छूटते हैं। कई बार निकायों के अधिकारी-कर्मचारियों को समय पर वेतन भी नहीं मिल पाता। हालांकि निगम के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि किश्तों में बकाया बिजली बिलों का भुगतान किया जा रहा है। आने वाले समय में सभी बकाया का भुगतान कर दिया जाएगा।

आर्थिक स्थिति ठीक, फिर भी नहीं कर रहे भुगतान

नगरीय निकाय को छोड़ दिया जाए तो कई सरकारी विभाग ऐसे हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक है। अलग-अलग कामों के लिए पर्याप्त बजट भी होता है। इसमें बिजली बिल भी शामिल है। बावजूद इसके अधिकांश विभाग समय पर बिल का भुगतान नहीं कर रहे हैं। यही कारण है कि बकाया राशि में बढ़ोत्तरी हो रही है।

किस्तों में हो रहा भुगतान

बिजली कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि पुराना बकाया बिजली बिल का भुगतान करवाने के लिए मंत्रालय और सचिव स्तर पर फाइल बनाकर भेजी जाती है। अधिकांश विभागों से किश्तों में बिलों का भुगतान भी प्राप्त हो रहा है। इसके अलावा अभियान के माध्यम से भी रिकवरी की कार्रवाई लगातार की जा रही है।

टाप टेन बकायेदार विभाग

नगरीय निकाय- 764.65 करोड़

पंचायत व ग्रामीण विकास- 269.40 करोड़

स्कूल शिक्षा विभाग- 73.14 करोड़

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी- 62.52 करोड़

चिकित्सा विभाग- 57.86 करोड़

गृह विभाग- 30.90 करोड़

महिला एवं बाल विकास- 19.63 करोड़

आदिम जाति कल्याण- 12.95 करोड़

राजस्व विभाग- 10.23 करोड़

आवास एवं पर्यावरण- 9.90 करोड़

(इसके अलावा 40 से ज्यादा विभागों पर करीब 80 करोड़ रुपए का बकाया है)

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