Ratlam Mahalaxmi Temple: दीपावली के लिए नोटों और सोने-चांदी के जेवरों से सज गया महालक्ष्मी का दरबार"/>

Ratlam Mahalaxmi Temple: दीपावली के लिए नोटों और सोने-चांदी के जेवरों से सज गया महालक्ष्मी का दरबार

HIGHLIGHTS

  1. इस बार जेवर की बजाए नगदी ज्यादा आई है।
  2. आचार संहिता लगने के कारण 50 हजार रुपये से ज्यादा की नगदी नहीं ली।
  3. सजावट के बाद पट धनतेरस पर तड़के शुभ मुहूर्त में खोले जाते हैं।

Ratlam Mahalaxmi Temple: नईदुनिया प्रतिनिधि, रतलाम। रतलाम में रियासत काल में बने माणकचौक स्थित प्रसिद्ध महालक्ष्मी मंदिर में भक्तों द्वारा दी गई सामग्री से शृंगार व सजावट का दौर शुरू हो गया है। पहले मंदिर में सात नवंबर तक ही सामग्री ली जाना थी, लेकिन लगातार आर रहे भक्तों के कारण अब गुरुवार रात तक सामग्री ली जाएगी। इधर पुलिस प्रशासन भी मंदिर में सुरक्षा को लेकर जरूरी इंतजाम कर रहा है। शृंगार के लिए पीथमपुर, थांदला, रावटी सहित गुजरात के दाहोद से भी भक्तों ने सामग्री दी है।

20 और 50 के नोटों की संख्या अधिक

रतलाम में हर साल पांच दिवसीय दीपोत्सव में नोट, सोने-चांदी के जेवर, हीरे-मोती आदि से होने वाले शृंगार को लेकर मंदिर में दर्शन के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं। इस बार जेवर की बजाए नगदी ज्यादा आई है। इसमें भी 20 व 50 के नोटों की संख्या अधिक है।

50 हजार रुपये से ज्यादा की नगदी नहीं ले रहे

विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के कारण 50 हजार रुपये से ज्यादा की नगदी नहीं ली जा रही है। शृंगार के लिए सामग्री देने वाले श्रद्धालुओं को टोकन दिया जा रहा है। इसी टोकन के आधार पर सामग्री वापस भी की जाएगी।

बुधवार रात सीएसपी अभिनव बारंगे ने मंदिर पहुंचकर सुरक्षा इंतजामों को लेकर मंदिर के संजय पुजारी से जानकारी ली। इसके बाद माणकचौक थाना टीआइ को भी इंतजाम करने के संबंध में निर्देश दिए। भक्त रणजीतसिंह ने बताया कि रतलाम के बाहर अन्य जिलों से भी भक्त सामग्री भेज रहे हैं। नगदी ज्यादा आ रही है।

लगातार 120 घंटे खुले रहेंगे मंदिर के पट

सजावट के बाद पट धनतेरस पर तड़के शुभ मुहूर्त में खोले जाते हैं। पांच दिवसीय दीपोत्सव में श्रद्धालुओं द्वारा दिए जाने वाले आभूषण, हीरे, मोती, तिजोरी, नकदी आदि से की गई सजावट भाई दूज तक रहती है। इसके बाद श्रद्धालुओं को उनकी सामग्री वापस कर दी जाती है।

वर्षभर रहती है मां महालक्ष्मी की कृपा

मान्यता है कि मंदिर में सामग्री देने के बाद वापस लेकर घर में रखने पर वर्षभर महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। धनतेरस से भाई दूज तक मंदिर में श्रृद्धालु लगातार दर्शन कर सकेंगे। धनतेरस पर पूर्व में कुबेर पोटली का वितरण किया जाता था, लेकिन इस दौरान अव्यवस्था होने लगी थी।

कुबेर की पोटली बांटी जाएगी

कोरोना काल में इस पर रोक लगा दी गई, इसके बाद से कुबेर पोटली का वितरण बंद है। इस बार कुबेर पोटली बांटी जाएगी, लेकिन समय तय नहीं हुआ है। कुबेर पोटली में सीपी, सुपारी, कमल गट्टा, सिक्का आदि सामग्री रहती है। मान्यता है कि इसे घर की तिजोरी में रखने से समृद्धि बनी रहती है।

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